...

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आंखों की भाषा
संजय आज बहुत खुश थे आज अपने जीवन मे खुशियों का रंग भरने जा रहे थे।
जल्दी तैयार होकर निकलना था इसीलिये अपनी माँ के कहने पर भी कुछ नहीं खाये।
तैयार होकर आकर गाड़ी में बैठ गये और अपनी मंजिल की ओर बढ़ने लगे। गाड़ी तेजी से आगे बढ़ने लगी संजय को तो बस प्रिया से मिलने की बेकरारी थी। कितना कुछ कहना था प्रिया से संजय कभी ये भी नहीं बताये प्रिया से कि वो कितना पसंद करते हैं प्रिया को।संजय ये सोचकर खुश थे कि जब से वो शादी करने को बतायेंगे तो प्रिया के चेहरे की खुशी देखते बनेगी।यही सब सोचते हुये कब प्रिया का घर आ गया पता ही ना चला।वो तो ड्राइवर ने जब पुछा कि साहब यहीं आना था न तब संजय का ध्यान टुटा बोले हाँ यहीं रोक दो गाड़ी।कुछ दुर पहले ही गाड़ी से उतर गये और ड्राइवर से कहे कि तुम यहीं रहना देखना यहाँ बच्चे बड़े शैतान हैं गाड़ी पर कुछ भी फेंककर मारते हैं तो तुम गाड़ी का ध्यान रखना और...