“बिगुल”
गीता एक पिछड़े कस्बे की छोटे से घर में रहनेवाली सातवीं कक्षा की होनहार लड़की थी। उसके पीछे उसकी चार बहनें और थीं। गीता के माता-पिता दिनभर मजदूरी करने घर से बाहर रहा करते और देर रात लौटा करते थे। गीता घर की बड़ी बेटी और बड़ी बहन होने के नाते अपने घर का सारा काम-काज करके स्कूल जाया करती थी। स्कूल से लौटते वक्त जब भी वो घर आती अपनी बहनों को यूँ ही खेल में समय व्यतीत करता पाती। दिनभर अपनी बहनों का उसे यूँ खेलना-कूदना अच्छा नहीं लगता था। उसने सोचा मैं अपनी बहनों के साथ आस-पड़ोस के कुछ बच्चों को भी पढ़ाया करूँ तो? उसने अगले ही दिन इसके लिए काम शुरू कर दिया।
गीता का घर छोटा था और बच्चे तो काफी आ गए थे। उसे सबको पढ़ाने में असहजता होने लगी थी। दूसरे दिन स्कूल से आते समय उसने कच्ची सड़क के दूसरी ओर एक खाली पड़ा मकान देखा जहाँ कोई रहता नहीं था और उसमें जगह भी काफ़ी थी। उसने वहीं अपनी छोटी सी पाठशाला खोलने का निर्णय लिया। सारे बच्चे और गीता की बहनें दोपहर के बाद वहाँ आ पहुंचे। सारे बड़े खुश थे नई जगह को देखकर। गीता अब वहीं सबको गिनती और वर्णमाला सिखाया करती थी।
कुछ दिन बीते एक दिन गीता वहीं सबको पढ़ा रही थी तभी कुछ ५-६ आदमी वहाँ आए और उन्होंने सबको वहाँ से भगाना शुरू किया। बच्चे अफरा-तफरी मचा कर भागने लगे। गीता को समझ नहीं आया आखिर क्यों वो हम सबको वहाँ से भगा रहे हैं? गीता ने जब उन सबका विरोध किया तो उन्होंने उसे मारना धमकाना शुरू कर दिया। गीता भी उनसे हाथापाई करने पर उतर आई। पर अकेली पड़ने के कारण उसे वहाँ से भागना पड़ा। उसकी बहनें पहले ही घर आ चुकी थीं। गीता को इस घटना पर बड़ा गुस्सा आया। कई दिन बीत गए पाठशाला नहीं लगी। फिर एक दिन स्कूल से लौटते हुए उसने उन्हीं आदमियों को उस घर में जाते देखा। गीता ने उनको चुपके से वहाँ के टूटे झरोखे से झाँक कर देखा। वे सब वहाँ शराब की बोतल और जुआ खेलते नज़र आए। अब समझ आया उसे कि उस दिन उन सबने क्यों बच्चों को वहाँ से भगाया।
गीता को बच्चों पर हो रहे अन्याय के प्रति विद्रोह का बिगुल आख़िर बजाना ही पड़ा। उसने वहाँ के पुलिस थाने में उनकी शिकायत करने की ठान ली। दूसरे दिन गीता अपने पड़ोस के कुछ लोगों को इकट्ठा कर पुलिस थाने जाती है और सारी बात कहती है। गीता की इस पहल की प्रशंसा पुलिस के अधिकारी ने की और उनपर आज ही सख्ती से कार्रवाई का आश्वासन भी दिया। उसी दिन दोपहर के बाद गीता के साथ पुलिस वहाँ पहुँच गई और उन सबको रंगे हाथों पकड़ लिया। पुलिस ने सबको गिरफ्तार कर गीता से क्षमा मांगने को कहा। और साथ ही वह जगह गीता को अपनी छोटी सी पाठशाला खोलने के लिए दे दी। गीता की खुशी का ठिकाना न रहा। और इस तरह गीता की पाठशाला की चर्चा पूरे कस्बे में होने लगी। गीता के माता-पिता को अपनी बेटी की इस योजना पर उस दिन बड़ा गर्व महसूस हुआ।
© ढलती_साँझ
गीता का घर छोटा था और बच्चे तो काफी आ गए थे। उसे सबको पढ़ाने में असहजता होने लगी थी। दूसरे दिन स्कूल से आते समय उसने कच्ची सड़क के दूसरी ओर एक खाली पड़ा मकान देखा जहाँ कोई रहता नहीं था और उसमें जगह भी काफ़ी थी। उसने वहीं अपनी छोटी सी पाठशाला खोलने का निर्णय लिया। सारे बच्चे और गीता की बहनें दोपहर के बाद वहाँ आ पहुंचे। सारे बड़े खुश थे नई जगह को देखकर। गीता अब वहीं सबको गिनती और वर्णमाला सिखाया करती थी।
कुछ दिन बीते एक दिन गीता वहीं सबको पढ़ा रही थी तभी कुछ ५-६ आदमी वहाँ आए और उन्होंने सबको वहाँ से भगाना शुरू किया। बच्चे अफरा-तफरी मचा कर भागने लगे। गीता को समझ नहीं आया आखिर क्यों वो हम सबको वहाँ से भगा रहे हैं? गीता ने जब उन सबका विरोध किया तो उन्होंने उसे मारना धमकाना शुरू कर दिया। गीता भी उनसे हाथापाई करने पर उतर आई। पर अकेली पड़ने के कारण उसे वहाँ से भागना पड़ा। उसकी बहनें पहले ही घर आ चुकी थीं। गीता को इस घटना पर बड़ा गुस्सा आया। कई दिन बीत गए पाठशाला नहीं लगी। फिर एक दिन स्कूल से लौटते हुए उसने उन्हीं आदमियों को उस घर में जाते देखा। गीता ने उनको चुपके से वहाँ के टूटे झरोखे से झाँक कर देखा। वे सब वहाँ शराब की बोतल और जुआ खेलते नज़र आए। अब समझ आया उसे कि उस दिन उन सबने क्यों बच्चों को वहाँ से भगाया।
गीता को बच्चों पर हो रहे अन्याय के प्रति विद्रोह का बिगुल आख़िर बजाना ही पड़ा। उसने वहाँ के पुलिस थाने में उनकी शिकायत करने की ठान ली। दूसरे दिन गीता अपने पड़ोस के कुछ लोगों को इकट्ठा कर पुलिस थाने जाती है और सारी बात कहती है। गीता की इस पहल की प्रशंसा पुलिस के अधिकारी ने की और उनपर आज ही सख्ती से कार्रवाई का आश्वासन भी दिया। उसी दिन दोपहर के बाद गीता के साथ पुलिस वहाँ पहुँच गई और उन सबको रंगे हाथों पकड़ लिया। पुलिस ने सबको गिरफ्तार कर गीता से क्षमा मांगने को कहा। और साथ ही वह जगह गीता को अपनी छोटी सी पाठशाला खोलने के लिए दे दी। गीता की खुशी का ठिकाना न रहा। और इस तरह गीता की पाठशाला की चर्चा पूरे कस्बे में होने लगी। गीता के माता-पिता को अपनी बेटी की इस योजना पर उस दिन बड़ा गर्व महसूस हुआ।
© ढलती_साँझ