Ek beti ke jivan ki roshni ?
Ek beti ke jivan ki
roshni ?
Ek beti ke jivan ki roshni, यह कहानी है एक ऐसे परिवार की जिसमे सास - संतोष और बहू-बेटा मयंक और वैशाली साथ रहते थे। वैशाली का कोई था नहीं। उसके मां बाप पहले ही गुजर चुके थे और मयंक को वैशाली से पहली नजर में प्यार हो गया था। जिसके कारण दोनों की जल्दी शादी हो गई।
बेटे की नई-नई शादी हुई थी और लव मैरिज थी। मयंक वैशाली से बहुत प्यार करता था और उसका बहुत ख्याल रखता था।
कुछ महीने बाद...
बहु माँ बनने वाली थी और मयंक उसके लिए ऑफिस से आते वक्त कुछ ना कुछ लेकर आता था। कभी कुछ खाने को तो कभी अपने बच्चे के लिए तोहफा वगैरा-वगैरा...
एक दिन अचानक मयंक ऑफिस से घर आ रहा था तभी उसका एक्सीडेंट हो जाता है और उस एक्सीडेंट मे उसकी मृत्यु हो जाती है।
जब मयंक की मृत्यु की खबर वैशाली को पता चलती है तो वैशाली के सारे सपने, उसकी सारी हिम्मत जैसे एक ही क्षण में टूट जाती है।
अब से कुछ महीने बाद...
वैशाली अपने बच्चे को जन्म देती है जो एक बेटी होती है। बेटी होने पर वैशाली की सास उसको बेटी पैदा करने पर कई सारे ताने देती है और बातें सुनाती है।
"यदि बेटा पैदा किया होता तो मेरे कुछ काम में आता, घर-बार संभालता।" मेरा बेटा तो रहा नहीं और अब इस बेटी का मैं क्या करूं !
ऐसे ही ऐसे करके 2 साल निकल चुके थे और तब वैशाली की सास संतोष का छोटा भाई - प्रकाश अपनी बहन से मिलने आता है। दोनों बातों में व्यस्त हो जाते हैं। बहन बताती है कि "मेरा बेटा तो अब रहा नहीं" और यह...
roshni ?
Ek beti ke jivan ki roshni, यह कहानी है एक ऐसे परिवार की जिसमे सास - संतोष और बहू-बेटा मयंक और वैशाली साथ रहते थे। वैशाली का कोई था नहीं। उसके मां बाप पहले ही गुजर चुके थे और मयंक को वैशाली से पहली नजर में प्यार हो गया था। जिसके कारण दोनों की जल्दी शादी हो गई।
बेटे की नई-नई शादी हुई थी और लव मैरिज थी। मयंक वैशाली से बहुत प्यार करता था और उसका बहुत ख्याल रखता था।
कुछ महीने बाद...
बहु माँ बनने वाली थी और मयंक उसके लिए ऑफिस से आते वक्त कुछ ना कुछ लेकर आता था। कभी कुछ खाने को तो कभी अपने बच्चे के लिए तोहफा वगैरा-वगैरा...
एक दिन अचानक मयंक ऑफिस से घर आ रहा था तभी उसका एक्सीडेंट हो जाता है और उस एक्सीडेंट मे उसकी मृत्यु हो जाती है।
जब मयंक की मृत्यु की खबर वैशाली को पता चलती है तो वैशाली के सारे सपने, उसकी सारी हिम्मत जैसे एक ही क्षण में टूट जाती है।
अब से कुछ महीने बाद...
वैशाली अपने बच्चे को जन्म देती है जो एक बेटी होती है। बेटी होने पर वैशाली की सास उसको बेटी पैदा करने पर कई सारे ताने देती है और बातें सुनाती है।
"यदि बेटा पैदा किया होता तो मेरे कुछ काम में आता, घर-बार संभालता।" मेरा बेटा तो रहा नहीं और अब इस बेटी का मैं क्या करूं !
ऐसे ही ऐसे करके 2 साल निकल चुके थे और तब वैशाली की सास संतोष का छोटा भाई - प्रकाश अपनी बहन से मिलने आता है। दोनों बातों में व्यस्त हो जाते हैं। बहन बताती है कि "मेरा बेटा तो अब रहा नहीं" और यह...