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मैं और मेरा तकिया
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शीर्षक -
मैं और मेरा तकिया
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समय- सुबह २ बजे
तारीख- शुक्रवार, 19 नवंबर 2021..........
ढलते नवंबर के दिन है इसलिए रात को ठंड कुछ ज्यादा ही पड़ रही है, वैसे तो पूरा कमरा बंद है लेकिन खिड़की से ठंडी-ठंडी हवा, अभी भी कमरे में आ रही है, रात्रि के 2 बजे है, चारों-ओर गहरा सन्नाटा है लेकिन मेरे मन में उमड़ने वाले ख्यालों ने काफी शोर मचा रखा है, पूरी दुनिया सो रही है लेकिन मेरे साथ कमरे की ट्यूबलाइट, मेरा तकिया और रजाई अभी तक जाग रहे है, इस बात से बेखबर की कोई तुम्हे रात को 2 बजे याद कर रहा है, चित्रांशी! तुम भी आराम से सो रही हो, मेरा सबसे अच्छा साथी, मेरा तकिया है। जब भी मैं पढ़ रहा होता हूं या कोई भी काम कर रहा होता हूं तो ये मेरे पास होता है, और आज भी मेरे पास ही है, मैं अभी बेड पर इसी का सहारा लिए बैठा हूं। कमरे की ट्यूबलाइट मुझे दूर से टकटकी लगाए देख रही है, तकिया और रजाई मेरे साथ अभी तक जाग रहे है, सुनो चित्रांशी ! मैं तुम्हारे बारे में सोच रहा हूं तो,
आज ये तकिया मेरे से खफा है, रजाई भी मुंह फुलाकर बैठी है, इनको पसंद नहीं है कि इनके होते मैं किसी और के बारे में सोचूं, क्योंकि तुम्हारी गैर मौजूदगी में तकिया मेरा ख्याल रखता है और रजाई से, मैं लिपटकर सोता हूं आज भी यही हो रहा है लेकिन शायद तकिया बुरा मान गया है इसलिए वो रूखा-रूखा सा हो गया है और रजाई इतने गुस्से में है की ठंडी-ठंडी हवा को अंदर आने दे रही है, चित्रांशी तुम्हे मनाना आसान है लेकिन इन दोनो को मनाना
बहुत मुश्किल!
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आखिरकर मैने पूछ ही लिया-
सुनो मेरी रजाई! तुम इतनी खफा क्यों हो?
देखो चित्रांशी!
रजाई तुम्हारी तरह ही मुंह बनाकर प्रतिउतर दे रही है की- आशु!
पूरे दिन, किसी कोने में अकेली पड़ी तुम्हारा इंतजार करती हूं और अब रात को तुम मुझे छोड़ किसी गैर को बाहों में भरने की फिराक में हो!
जिसे तुम याद कर रहे हो उसे तुम्हारी कोई फिक्र भी नही है, फिर भी तुम क्यों, उसके बारे में इतना सोचते हो , मैंने भी हंसकर कहा-
नही सोचूंगा! मेरी प्यारी रजाई, आज के बाद पक्का प्रॉमिस! तुम बस ठंडी हवा को अंदर मत आने दो
रजाई बोली-
ठीक है ! नही आने दूंगी और सुनो। एक बात और आशू, जिसके बारे मैं तुम सोच रहे हो, तुम्हारी चित्रांशी! वो भी मेरी जैसी किसी रजाई को गले लगाकर आराम से सो रही है
इतने में तकिया बोल पड़ा-
और मेरी तरह किसी तकिए को भी साथ लिए सो रही है, मैं मुस्कुराते हुए बोला-
हां बिलकुल! सही कहा तुमने, तुम एक काम क्यों नही करते अपने भाई उस तकिए से कहो ना की उसके सिर को हिलाकर, उसे नींद से उठाए, और उस तक मेरा पैगाम पहुंचाये की मैं उसे याद कर रहा हूं , तकिया बोला-
जी हां! बिलकुल तुम्हारा काम हो जायेगा पर तुम्हे एक प्रॉमिस करना पड़ेगा,
मैंने आश्चर्चकित होकर पूछा-
कैसा प्रॉमिस?
तकिया बोला-
जब भी तुम उससे मिलो, मुझे अपने से दूर मत कर देना उसकी गैर-मौजूदगी में मैंने कितना ख्याल रखा है तुम्हारा, कहीं ऐसा न हो तुम उससे मिलो और मैं किसी अंधेरे कोने में धूल में पड़ा रहूं...।
मैंने तकिए को आश्वासन दिया
चिंता मत करो प्रिय!
पक्का प्रॉमिस है तुम हमेशा पास ही रहोगे
तुम मुझे चित्रांशी जितना ही प्यारे हो
मैं तुम्हारी इस बात को हमेशा जहन में रखूंगा
ठीक है । 4 बजने को है
अब सो जाओ
गुड नाईट...।
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सुनो चित्रांशी। सुबह के 5 बजने को है
मेरा प्रिय साथी- तकिया
अभी सो रहा है और मैने तकिए को प्रॉमिस भी कर दिया है जब भी, जहां भी, हम मिलेंगे तो हमारे अलावा कमरे में कोई तीसरा भी होगा
जो हमे देख रहा होगा...।
वो होगा...........
मेरा तकिया......
और प्लीज तुम उसकी मौजूदगी से
खफा मत हो जाना....................
ठीक है। चित्रांशी, अब देर बहुत हो गई है, मैं ट्यूबलाइट को बंद कर रहा हूं क्योंकि वो मुझे टकटकी लगाए देख रही है और तकिया मेरी बातें सुनकर नींद में ही
मंद-मंद मुस्कुरा रहा है.....।
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© aashurj31