फुदकी का परिवार
एक दिन की बात है मैं छत पर टहल रही थी वहां पर ठंडी ठंडी हवा भी चल रही थी
आकाश में बादल छाए हुए थे बिजली कड़क रही थी
तभी मेरी नजर एक पीपल के वृक्ष पर पड़ी वह पीपल का वृक्ष मेरे घर के समीप में खड़ा हुआ था उसके पास अशोक और खजूर ताड़ के भी वृक्ष भी खड़े हुए थे
पीपल के वृक्ष के ऊपर बंदरों का झुंड निवास करता था उस पर बंदरों के छोटे-छोटे बच्चे भी थे बंदरों के साथ में भी उछल कूद कर रहे थे
उन्हें देखकर ऐसा लगता था मानो छुपन छुपाई का खेल खेल रहे...
आकाश में बादल छाए हुए थे बिजली कड़क रही थी
तभी मेरी नजर एक पीपल के वृक्ष पर पड़ी वह पीपल का वृक्ष मेरे घर के समीप में खड़ा हुआ था उसके पास अशोक और खजूर ताड़ के भी वृक्ष भी खड़े हुए थे
पीपल के वृक्ष के ऊपर बंदरों का झुंड निवास करता था उस पर बंदरों के छोटे-छोटे बच्चे भी थे बंदरों के साथ में भी उछल कूद कर रहे थे
उन्हें देखकर ऐसा लगता था मानो छुपन छुपाई का खेल खेल रहे...