हाथी और चींटी
किसी जंगल में एक हाथी रहता था |उसे अपने आप पर बहुत घमंड था | अपनी ताकत पर घमंड था | उसे रास्ते में जो भी जानवर दिखते थे उन्हे तंग करता था और डरा कर भगा देता था |
एक दिन की बात है , वह कही जा रहा था उसने पेड़ पर एक तोता को बैठा हुआ देखा और वह तोते को अपने सामने झुकने को बोला |तोते ने झुकने से मना कर दिया तो हाथी को गुस्सा आ गया । हाथी गुस्से में आकर पेड़ उखाड़ दिया जिस पर तोता बैठा था । तोता उड़ गया हाथी उसे देखकर हंसने लगा ।
फिर एक दिन हाथी एक नदी के किनारे पानी पीने गया । वहीं पर चिंतियों का एक छोटा सा घर था ।
एक चींटी बहुत मेहनत से अपने लिए खाना इकट्ठा कर रही थी । यह देख हाथी ने पूछा की तुम क्या कर रही हो ,तो चींटी ने बोला कि।बरसात का मौसम आने से पहले अपने लिए भोजन जमा कर रही हू। ताकि बारिश का मौसम बिना किसी परेशानी के निकल जाए ।यह सुनकर हाथी के मन में शरारत सूझी और उसने अपनी सूंड में पानी भर कर चींटी के उपर डाल दिया ।
पानी में चींटी का भोजन खराब हो गया और चींटी पूरी भीग गई। यह देखकर चींटी को बहुत गुस्सा आया और उसने घमंडी हाथी को सबक सिखाने के लिए सोचा । एक दिन चींटी को मौका मिला हाथी को सबक सिखाने का । हाथी भोजन करके हरी घास पर सोया था ।
चींटी सोते हुए हाथी की सूड में घुस गई और अंदर से उसे काटने लगी ।जैसे ही चींटी ने हाथी को काटा , हाथी दर्द के मारे जोर जोर से रोने लगा और मदद के लिए पुकारने लगा ।
चींटी ने हाथी के रोने की आवाज सुनी और सूड से बाहर निकली। हाथी उसे देखकर दर गया और अपने किए की माफी मांगी ।जब चींटी को महसूस हुआ की हाथी को अपनी गलती का अहसास हो गया है ,तो उसने हाथी को माफ कर दिया। हाथी जब बिलकुल बदल गया और उसने वादा किया की अब वो किसी को परेशान नही करेगा और दुसरो की मदद करेगा ।
कहानी से सिख
हमे अपनी ताकत पर कभी घमंड नहीं करना चाहिए।अपनी ताकत के जोर पर दुसरो को परेशान नही करना चाहिए , बल्कि हमे उनकी मदद करने चाहिए ।
एक दिन की बात है , वह कही जा रहा था उसने पेड़ पर एक तोता को बैठा हुआ देखा और वह तोते को अपने सामने झुकने को बोला |तोते ने झुकने से मना कर दिया तो हाथी को गुस्सा आ गया । हाथी गुस्से में आकर पेड़ उखाड़ दिया जिस पर तोता बैठा था । तोता उड़ गया हाथी उसे देखकर हंसने लगा ।
फिर एक दिन हाथी एक नदी के किनारे पानी पीने गया । वहीं पर चिंतियों का एक छोटा सा घर था ।
एक चींटी बहुत मेहनत से अपने लिए खाना इकट्ठा कर रही थी । यह देख हाथी ने पूछा की तुम क्या कर रही हो ,तो चींटी ने बोला कि।बरसात का मौसम आने से पहले अपने लिए भोजन जमा कर रही हू। ताकि बारिश का मौसम बिना किसी परेशानी के निकल जाए ।यह सुनकर हाथी के मन में शरारत सूझी और उसने अपनी सूंड में पानी भर कर चींटी के उपर डाल दिया ।
पानी में चींटी का भोजन खराब हो गया और चींटी पूरी भीग गई। यह देखकर चींटी को बहुत गुस्सा आया और उसने घमंडी हाथी को सबक सिखाने के लिए सोचा । एक दिन चींटी को मौका मिला हाथी को सबक सिखाने का । हाथी भोजन करके हरी घास पर सोया था ।
चींटी सोते हुए हाथी की सूड में घुस गई और अंदर से उसे काटने लगी ।जैसे ही चींटी ने हाथी को काटा , हाथी दर्द के मारे जोर जोर से रोने लगा और मदद के लिए पुकारने लगा ।
चींटी ने हाथी के रोने की आवाज सुनी और सूड से बाहर निकली। हाथी उसे देखकर दर गया और अपने किए की माफी मांगी ।जब चींटी को महसूस हुआ की हाथी को अपनी गलती का अहसास हो गया है ,तो उसने हाथी को माफ कर दिया। हाथी जब बिलकुल बदल गया और उसने वादा किया की अब वो किसी को परेशान नही करेगा और दुसरो की मदद करेगा ।
कहानी से सिख
हमे अपनी ताकत पर कभी घमंड नहीं करना चाहिए।अपनी ताकत के जोर पर दुसरो को परेशान नही करना चाहिए , बल्कि हमे उनकी मदद करने चाहिए ।