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छल शह और मात💃
इस दुनिया में कुछ रिश्ते जरूरत के लिए निवाये जाते हैं और ये जब बात मुझे पता चली तब तक बहुत देर हो गई थी मैं उस वक्त गर्भवती हो चुकी थी और मुझे ये समझ नहीं आ रहा था की अपनी जरुरत का बीज बो कर कही और जरुरत तलाशने लगता है इंसान शायद उसे आदत पड़ जाती है मुँह मारने की हा मैं कह सकती हूं वो वक्त मेरे लिए बहुत मुश्किल था किसी को बताती तो लोग क्या कहेंगे बदनामी का डर लग रहा था मैंने अमित को बहुत कॉल्स की मैसिज किये लेकिन कोई रिस्पांस नहीं मिला मुझे लगने लगा था की उसका प्यार झूठा था और वह भी धोकेबाज़ था कुछ दिन तक बहुत सोचती रही की अपनी जान दे दू फिर मैंने सोचा अपने होने बाले बच्चे की मां भी तो खुद का ना सही मुझे नन्नी जान का तो ख्याल रखना होगा और इसिलिए उस रात मैं घर से निकल गई एक नोटबुक मैं ये लिख कर की कभी कभी हमारे लिए जो अक्सर होता है वो जरुरी नहीं की सही हो एक चाहत सी लगने वाली किसी की शाजिश भी हो सकती है और जिसका हम न चाहते हुए भी हम शिकार होने लगते हैं इसलिये मैं कनाडा जा रही हूं अपनी स्टडी पूरी करने के लिए घबराने की कोई जरुरत नहीं वक़्त आने पर किसी भी तरह की मदद माँग लूँगी और मोम डैड ने तो यही सोचा कि बच्चे अब बड़े हो गये है अपने फैसले ले और इसे अच्छा और क्या हो सकता है इसलिय उन्होने कोई आपत्ति नहीं जताई और कनाडा मैं वहां किसी को भी कुछ पता नहीं था की यह बच्चा मेरी शादी होने से पहले का है वहां मैंने यह बताया की मैं शादीशुदा हूँ वहा के लोग बहुत प्यारे लोग जो मेरे साथ बहुत अच्छे से कॉर्पोरेट किया वक्त कब गुजरा पता ही नहीं चला एक महीने बाद डिलीवरी थी इसलिये मैंने वहा बेस्ट सर्जन को पहले हायर कर लिया था अमित का कुछ पता नहीं था की वो कहा है अब तक मेरे पास उसके कोई भी कॉल नहीं आया था और एक महीने बाद मैंने एक प्यारे से बेबी को जन्म दिया और उसका नाम मैंने आहन रखा मैं बहुत खुश थी लेकिन बहुत परेशान भी की कैसे सम्भालूंगी आने बाले हालातो को और फिर कैसे भी करके 2 साल हो गए 6 महीने बाद अब मेरी पढ़ाई भी पूरी हो चुकी थी और मुझे जॉब के ऑफर आने लगे और इधर मैंने आहन की जिम्मेदारी के लिए एक बूढी औरत को रख लिया जिसका इस दुनिया में कोई नहीं था एक दुर्घटना मैं वो सब कुछ खो चुकी थी उसका इस दुनिया में कोई नहीं था उसका कोई परिवार नहीं बचा था इसलिय मैंने अपने साथ रख लिया वो भी बहुत खुश थी आहन के रूप मैं जो उससे बेटा जो मिल गया था वो बूढ़ी औरत भरोशा के लायक थी और फिर मैंने एक कंपनी ज्वाइन की जिसमे मुझे मुख्य संपादक की नौकरी मिली गयी वक्त बदल रहा था और तभी एक दिन अचानक मैंने ऑफिस की कॉन्फ्रेंस मीटिंग में मैंने अमित को देखा अब पहले से वो बहुत बदल चुका था किसी मल्टी इंटरनेशनल कंपनी का मालिक था वो इधर मैंने भी खुद का बिजनेस स्टार्टअप कर लिया था अब मुझे उस ऊंचाई तक जाना था जहां मैं उसके सामने आ सकू और फिर एक दिन फाइनली वह वक़्त आ ही गया जिसका मुझे इंतजार था वो मेरी सेल्फ कंपनी मैं एक ऑफर लेकर आया कि वह मेरी कंपनी में इन्वेस्ट करना चाहता है मीटिंग फिक्स हुई और फिर आज कई अरसे बाद बिज़नेस मीटिंग ही सही इस बहाने उससे मिली उससे मिली तो उसका चेहरा देखने लायक था उससे कुछ आइडिया भी नहीं था की वो मुझे इस ऊंचाई पर देखेगा क्योंकि उसके सामने मैं एक नॉर्मल सी लड़की थी वो कुछ बोल नहीं पा रहा था और फिर मैंने ही शुरू की उससे बात करना और उससे कहा की बहुत शौक है ना दूसरों की कंपनी मैं निवेश करने का अब तुम्हारा वो हाल करुंगी की खुद की कंपनी बचाने के लिए किसी और निवेशक की जरूरत पड़ेगी उस वक़्त मुझे याद कर लेना आखिर पुराना हिसाब किताब बाकी है उसे भी चुकाना है

दूसरा भाग जारी रखें