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Is Safar Ko Mai Naam kya dun
यूं तो ज़िन्दगी हर पल एक नई सफर है । आज मै ज़िक्र करने जा रहा हूं ऐसे ही एक नए सफर के बारे में , ये बात अभी कुछ महिने पहले की है एग्जाम देने के बाद मेरा जाना हुआ दिल्ली यूं तो मै एक छोटे से शहर में रहता हूं एग्जाम देने मै शहर आया था एग्जाम देकर जब मै examinatio holl से बाहर आया तो भाई को फोन की के एग्जाम हो गया है और अच्छा गया तो अब मै स्टेशन जा रहा हूं और वहां से घर चला जाऊंगा । मेरे भाई दिल्ली में रहते है और किसी प्राइवेट कंपनी में जॉब करते है खैर उन्होंने कहा स्टेशन जाओ हैं लेकिन घर नई जाना ये ये गाड़ी है टिकेट लो और सीधा यहां आजाओ कुछ दिन रह कर घूम लेना और फिर चले जाना ।मैंने सोचा ये भी सही है चलते है दिल्ली और फिर क्या टिकेट ली और गाड़ी पकड़ ली । गाड़ी में इतनी भीड़ और भीड़ में मै आकेला मैंने पहले कभी इतनी दूर अकेले सफर नई किया था इसलिए थोड़ा सा नर्वास था इतनी भीड़ नए चहरे कोई भी पहचान का नई । कुछ टाइम बाद गाड़ी में दो दोस्त मिले वो मेरे साथ ही गाड़ी पर चढ़े थे उन्होंने कहा कहा जा रहे हो मैंने कहा दिल्ली जा रहा हूं उन्होंने कहा ओह अच्छा और कहा से आरहे हो मैंने कहा एग्जाम देकर आरहा हूं और फिर क्या यूं ही बाते करते करते वो दोनो थोड़ी सी वक़्त में काफी अच्छे दोस्त बन गए थे और इसी तरह सफर जारी रहा 5 से 6 घंटा गाड़ी चलाने के बाद सब को भूक लगी तो खाने को निकाला उन्होंने कहा तुम भी खाओ मैंने सुना हुआ था गाड़ी में कोई कुछ दे तो लेना मत मैंने उन्हें मना कर दिया नई मुझे भुक नई है पर उनकी ज़िद्द के कारण मुझे उनकी बात रखनी पड़ी मेरे पास भी जो था वो सामने रख दी और सबने मिल कर खाना खाया । इतना सब होने के बाद अभी किसी ने किसी का नाम नई पूछा खाने के बाद सब रहम करने लगे उन्होंने पूछा और क्या करते हो क्यों दिल्ली जा रहे हो मैंने सब बता दिया फिर उन्होंने बताया के मै बिजनेस के सिलसिले में दिल्ली जा रहा हूं ।
बाते करते करते रास्ते का पता ही नहीं चला और गाड़ी आकर स्टेशन पर लग गई थी और सामने था दिल वालों की नगरी दिल्ली हम लोगो ने अपना सामान जल्दी से समेटा मेरे सामान तो ज्यादा थे नई हैं उनके समान मैंने गाड़ी से बाहर निकल लाया स्टेशन के बाहर इतनी देर में भाई की फोन आयी के मै स्टेशन के बाहर आया हूं तो यह पर आजाओं फिर मैंने कहा भाई अब मै चलता हूं मुझे उस तरफ जाना है उन्होंने कहा दोस्त तुमने तो अपना नाम बताया ही नई मैंने कहा आपने पूछा ही नई फिर मैंने उन्हें अपना और उन्होने मुझे अपना नाम बताया और वहां से हम दोनों निकाल पड़े अपनी अपनी मंज़िल की ओर उधर भाई इंतज़ार में थे और फिर मै और मेरे भाई निकाल गए अपनी घर की ओर ।
आज भी जब उस सफर का ज़िक्र होता है तो बस चेहरे पर के प्यारी सी मुस्कुराहट आती है और वो थोड़े वक़्त में इतनी अच्छी दोस्ती ।
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