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एक रिश्ता (भाग 4/ अंतिम भाग)
9 बज गए थे, अर्चना नहीं आईं थीं, अमित भी गाड़ी में जाकर बैठ गया और गाड़ी चलने लगी।सारे रास्ते भर वो फिर ख़ुदको कोस्ता रहा, की इस बार भी उसने अर्चना को खो दिया। उसे अभी भी नहीं पता था कि अर्चना अभी भी उसकी ही थी या किसी और कि हो चुकी थी। ना ही उसके पास अर्चना का फोन नंबर था।

घर पहुंचा तो उसका घर सजा हुआ था जैसे कोई त्योहार हो आज। उसने दरवाजा खटखटाया तो पिताजी ने दरवाजा खोला और मुस्कुराकर उसको अन्दर बुलाया,...