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मालिक (जीवन का संघर्ष)
एक गाओं में एक छोटा परिवार रेहता था, उस परिवार का मालिक बहुत अत्याचारी और घमंडी था, उसे सिर्फ अपनी बातेंऔर फैसले सही लगते थे

जब भी उसकी पत्नी और बेटी अपना पक्ष रखते तो वो उन्हें मारता था गन्दी गालिया देता था

माँ और बेटी सेहम जाते और उस्से कुछ ना कहते, गलती से भी उनसे कुछ भी गलती हो जाती तो बहुत पीड़ा देता माँ तो जैसी टूठ ही गई थी

पर नन्ही बेटी ने प्रण लिया की वो अपनी माँ को एक अच्छी ज़िन्दगी देगी
कभी खेलने नही जाती थी उसने कलम का शस्त्र उठाया था सिर्फ पढ़ना परीक्षा में प्रथम आना यही उसका जीवन बन गया एक दिन पिता के खिलाफ जा कर उसकी माँ को आजाद करना यही उसके जीवन का मूल उद्देश्य बन चूका था

एक दिन पीड़ित माँ बीमार पड़ गई ऐसी सुनेहरी नींद में चली गई के सुनेहरा सूरज देख ना सकी,नन्ही जान अपनी माँ के लिए कुछ ना कर सकी

अब ज़ालिम पिता का शिकार नन्ही जान थी लेकिन वो बहुत बहादुर थी उसने अपनी कलम की ताक़त से अपने लिए आजादी पा ली लेकिन उसके दिल में अपनी माँ को आजादी न दिला पाना का दुख हमेशा चुभ रहा था

आजाद हो कर भी वे ग़म के बंधन में कैद हो चुकी थी

कहानी का तात्पर्य है की कल पर यकीन मत करो आज पर करो गलत इंसान से आज ही लाडो

काली रात है तो दीपक अभी जलाओ कल नही

यह कहानी काल्पनिक है मानती हूँ बहुत पीड़ा जनक है लेकिन सत्य घटनाओं से प्रेरित है

अब जो नन्हा सिपायी अनदेखे दुश्मन के बीच कैद हो गया है उसे क्या करना चाहिए कमेंट करें अपना मत दें अब नन्हा सिपायी लड़े भी तो किस्से
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