...

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क्या ऐसा भी होना था।(part 2)
किसी ने दरवाज़ा खोला तो पूरा कमरा अंधेरे में डूबा हुआ था।अंदर प्रवेश करने वाले को थोड़ा आश्चर्य हुआ कि जिस कमरे का bulb रात के १ बजे बंद होता था आज वहां ९बजे ही अंधेरा छाया हुआ था ।
दरवाज़े के पास लगे बोर्ड की बटन पर हाथ फेरा तो सब कुछ नज़र आने लगा । लेकिन वह तो वहां नहीं थी।
" ये लड़की भी ना "अमीना पलटी ही थी कि उसे कमरे कि सामने वाली दीवार पे लगी खिड़की से बाहर आंगन में पड़े झूले पर वह नज़र आ गई।

" ये आज चांद को क्यों घूरा जा रहा है" अमीना ने नूर के सर पर हाथ फेरा तो वह मां को देख कर मुस्कुरा दी।
" चांद को कौन देख रहा है मां?"
"अच्छा!तो आज तारे गिने जा रहे हैं।वैसे ये भी ठीक है हो सकता है इन की गिनती तुम ही पूरा कर लो।" अमीना ने झूले पर बैठते हुए कहा।
" मैं तारे नहीं गिन रही मां"
अच्छा !तो ?
"मैं तो इस चांद और तारों के बीच फैले उस काले धुएं को ,उस अंधकार को देख रही हूं ।जिसे लोग आसमान कहते हैं।"वह सर को उपर किए आसमान में देख रही थी।और उसकी आंखों में तारों से भी ज़्यादा चमक थी।
" और आप जानती हैं क्यों?"
"क्यों?"
" क्यूंकि मां मै सोच रही हूं कि लोग अंधेरे कि तुलना बुराई से क्यों करते हैं? क्या अगर ये अंधेरा ना होता तब भी ये चांद और ये तारे इतने ही खूबसूरत होते ? क्या तब भी चांद की चांदनी और तारों कि रोशनी इतना ही लोगों को आकर्षित करती ?"अब वह अपनी मां को देख रही थी ।
नहीं मेरी जान!अंधेरा बुराई का घोतक नहीं होता ।बस लोग इससे घबरा जाते हैं।वरना हर अंधेरे के साथ और बाद उजाला होता है ,रोशनी होती है ।"अमीना की आंखों में मोहब्बत के इतने सारे जुगनू थे जैसे सामने उनकी बेटी की शक्ल में उनकी ज़िन्दगी की सांस उनके सामने बैठी हो।

अच्छा ! चल जा के सो जा अब ।इतना सोचती है तो 17की नहीं 27 की लगती है।और फिर मुझे लगता है कि मै बूढ़ी हो गई हूं ।"अमीना झूले से उठी तो नूर उठ कर तुरंत उससे चिमट गई।
thank you मां!
किस लिए?
इतनी अच्छी मां और मेरी best friend बनने के लिए ।"
शुक्रिया मेरी जान !
किस लिए?
"मेरी इतनी प्यारी बेटी बनने के लिए।"अमीना ने नूर के माथे को चूमा।
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"नेहा क्या कर रही है।"नूर ने धीमी आवाज़ में नेहा को डपटा।
"sorry पर क्या करूं इन हरी हरी कैरियों को देख कर इंतजार नहीं हो रहा।उपर से ये मैडम का उबाऊ grammar lecture सब मेरे ऊपर से जा रहा है।"नेहा ने फुसफुसा के धीरे से कहा ।
"थोड़ा पढ़ लेगी तो ढंग से फॉर्म fill करना ही आ जाएगा ।इस में बुराई तो नहीं है।"नूर ने दांत पीस कर कहा।
" पढ़ लेती नूर मेरी जान पर क्या करूं ?मेरी आत्मा 1857 की है। इसलिए सख्त नफरत होती है मुझे इन अंग्रेजों की जुबान से ।" नेहा ने कैरी के टुकड़े को तेज़ी से मुंह में डालते हुए कहा तो नूर ने अपना सर झटक दिया।
" नेहा को समझाना मतलब दीवार से सर फोड़ना "

नूर.....नूर... रुको यार ।क्यों ऐसे मुंह फुलाए हुए हो ?
बोला ना sorry नहीं खाऊंगी अच्छा आगे से । "नेहा ने हाफते हुए कहा ।
" नहीं, क्यों नहीं खाओगी ? तुम ज़रूर खाना ।बल्कि मै तो कहती हूं तुम सिर्फ कैरियां ही लाना।"
" मगर नूर -e- जान.....
नूर अभी एक कदम आगे बढ़ी ही थी कि ज़ोर से इक बाइक उसके पास से गुजरी । और वह दोनों तेज़ी से पिछे हो गईं।

To be continued.
Fayza.
© fayza kamal