दो दिलों का प्यार ( भाग - 3 )
प्रेम को कामों में व्यस्त पाते देख, जैसे ही वो जाने के लिए मुड़ती है, तभी प्रेम अंजलि को कहता है, रुको.... कहा जा रही हो ? कुछ काम था क्या? फिर अंजलि कहती है, जी सर, मुझे आपको सॉरी बोलना था। मैंने जाने-बगैर आपके सामने बैठ कर पता नही क्या-क्या कहा, इसके लिए में सॉरी बोलना चाहती हूँ। प्रेम अंजलि की बातें सुन मुस्कुरा रहे थे, उनको मुस्कुराता देख अंजलि को कुछ समझ मे नही आया। फिर प्रेम कहते है, सच बताऊ तो मुझे तुम्हारी बातो का ज़रा-सा भी बुरा नही लगा, इसलिये तुम्हे सॉरी बोलने की कोई जरूरत नही है। अंजलि मन ही मन मुस्कुराती है फिर वो आफिस से बाहर निकल जाती है। अंजलि के चेहरे पर खुशी देखी जा सकती थी, वो बिना देरी किए...