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काबिल
हाँ, सही सुना तुमने काबिल |तुमने मुझे काबिल बना दिया, पहले मैं कैसा आलसी सा था ना कोई काम करता था, ना जिंदगी का कुछ पता था कि ये जिंदगी कहाँ जा रही है |फिर तुम मुझे मिली तो मैंने खाली इतना जाना कि खाना सोना ओर तुम मतलब कि बस तुम से बात करते रहना या तुम्हारे साथ घूमना या मिलना बस यही करता था |पर क्या मैं सही था एक दिन तुमने पूछा भी की तुम कुछ नहीं करते बस यूँ ही घूमते रहते हो ओर मैं खुश होके हाँ बोला, तुमने मुझे उस दिन समझाया लेकिन मैं तुम्हारी बात को हवा में उड़ा गया, जिसका नतीजा यह हुआ कि तुम मुझे छोड़ कर चली गयी हाँ तुमने गुस्सा किया समझाया भी पर मैं नालायक आलसी हो गया था ना, तो तुम्हारी बता पर गोर ही नहीं करता था, ओर यह भी तो नहीं सोचा था ना कि तुम छोड़ कर चली जाओ गी |वैसे अच्छा हुआ तुम छोड़ कर गयी, तुम गयी तो मुझे समझ आया कि मैं कितना गलत था, तुमने मुझे सही गलत में फर्क समझाया |फिर मैंने तुम्हें मंज़िल बना कर अपने सपनो को पूरा करने निकल गया, ओर मैं सफल भी हुआ हां मैं तुम्हारी वजह से काबिल हुआ |ओर मेरे काबिल होने के बाद तुम फिर आई उसदिन मिल के बहुत अच्छा लगा तुम आई मेरे जन्‍म दिन पर बहुत खुश दिखी मुझे तुम ओर तुम्हारी खुशी मे मेरी खुशी है, कितनी खुश थी तुम मेरी तरकी देख़ के यह सब तुम्हारी वजह से ही, तो मुमकिन हो पाया है, हाँ मैं तुम्हें शुक्रिया करना चाहता हूं मैं दुनिया को बताना चाहता हूं कि अगर तुम्हें कोई छोड़ के गया है, तो वजहा देखो ओर अगर तुम कहीं भटके हो तो वापस मंज़िल पाने आजाओ सब अपने आप सही हो जाए गा |हाँ अब हम साथ हैं, ओर मैं एक बहुत अच्छे मुकाम. पर हूँ सब तुम्हारी वझा से है आप सामने वाले को गलत समझने की बजाए कमी देखो, ओर उसे मंज़िल बना के उसे पाने के लिए निकल जाओ |आप जरूर सफल होगे, ओर एक बार फिर तुम्हें शुक्रिया तुम्हारे वझा से आज मैं काबिल बना, खाली प्यार से ही नहीं जिंदगी जीने के लिए ओर भी चीज़ों की जरूरत होती है उनको पाने के लिए हमे कामना पड़ता, जितना प्यार जरूरी है उतना ही काम करना भी शुरकिया इस काबिल बना ने के लिए |