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ज्ञान चंद ki लाल टोपी
*कहानी2: ज्ञानचंद की लाल टोपी*

       *ज्ञानचंद नामक एक जिज्ञासु भक्त था।वह सदैव प्रभुभक्ति में लीन रहता था।रोज सुबह उठकर पूजा- पाठ, ध्यान-भजन करने का उसका नियम था।उसके बाद वह दुकान में काम करने  जाता।* 

*दोपहर के भोजन के समय वह दुकान बंद कर देता और फिर दुकान नहीं खोलता था,बाकी के समय में वह साधु-संतों को भोजन करवाता, गरीबों की सेवा करता, साधु-संग एवं दान-पुण्य करता।व्यापार में जो भी मिलता उसी में संतोष रखकर प्रभुप्रीति के लिए...