तवांग घाटी
तवांग घाटी में चीनी सैनिकों का भारत भू पर कब्जा करने की मनोदशा में समर्पित कविता का आनंद लें।
देश के वीर जाबाजों नें फुर्सत में ये बतलाया है
सीनें में सन् "बासठ"वाला घाव उभर कर आया है।
गलवान कभी, तवांग घाटी की सीमा लाँघ रहे है जी
तीन इंच के बौने भी अब भारत माँग रहे हैं जी ।
भूल रहे वो काश्मीर में, पत्थरबाजी बन्द हो गयी
लाल चौक पर चढ़ा तिरंगा ,नारे बाजी बंद हो गयी।
काश्मीर के बँटवारे की , जिनकी पूरी अभिलाषा थी
पाक परस्ती आकाओं की बिगड़ी बोली भाषा थी ।
हमनें उनके मंसूबों पर पानी फेर दिया है जी
भारत के बस दो शेरों को खुल्ला छोड़ दिया है जी।
काश्मीर में अमन चैन है, घाटी में हरियाली है
दहशत गर्दों के ऊपर भारत की सेना भारी है।
अब भारत की सीमाओ पर वीर शहीद नहीं होते हैं।
गोली का उत्तर सीधे हम गोली से ही दे देते हैं ।
इसी लिए तुम एक नज़र कभी काश्मीर को देखो तो
बासठ वाली भूल भूलाकर आगे बढ़कर देखो तो ..
हम गोली के उत्तर में अब सद्.भाव नहीं देगें
चीन की छाती पर चढ़कर के पूरा भारत ले लेगें ।
तीन इँच के बौनो से कभी भारत नहीं डरा है जी
और तवांग को देख लग रहा लाठी सही पड़ा है जी।
कवि अजीत सिंह ...
देश के वीर जाबाजों नें फुर्सत में ये बतलाया है
सीनें में सन् "बासठ"वाला घाव उभर कर आया है।
गलवान कभी, तवांग घाटी की सीमा लाँघ रहे है जी
तीन इंच के बौने भी अब भारत माँग रहे हैं जी ।
भूल रहे वो काश्मीर में, पत्थरबाजी बन्द हो गयी
लाल चौक पर चढ़ा तिरंगा ,नारे बाजी बंद हो गयी।
काश्मीर के बँटवारे की , जिनकी पूरी अभिलाषा थी
पाक परस्ती आकाओं की बिगड़ी बोली भाषा थी ।
हमनें उनके मंसूबों पर पानी फेर दिया है जी
भारत के बस दो शेरों को खुल्ला छोड़ दिया है जी।
काश्मीर में अमन चैन है, घाटी में हरियाली है
दहशत गर्दों के ऊपर भारत की सेना भारी है।
अब भारत की सीमाओ पर वीर शहीद नहीं होते हैं।
गोली का उत्तर सीधे हम गोली से ही दे देते हैं ।
इसी लिए तुम एक नज़र कभी काश्मीर को देखो तो
बासठ वाली भूल भूलाकर आगे बढ़कर देखो तो ..
हम गोली के उत्तर में अब सद्.भाव नहीं देगें
चीन की छाती पर चढ़कर के पूरा भारत ले लेगें ।
तीन इँच के बौनो से कभी भारत नहीं डरा है जी
और तवांग को देख लग रहा लाठी सही पड़ा है जी।
कवि अजीत सिंह ...