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"मैं हिंद से अलग नहीं,'मैं तो हिंदुस्तान हूं!"
किसी ने Writco पर मुझसे ये कहा —

"ये दुनियां अपने हिसाब से चलती है,,,हम राजनीति से परे आम लोग हैं!"

लेकिन मेरी सोच इससे अलग है मेरा मानना है कि हम आम नहीं है हम वो है जो अच्छे बुरे की पहचान रखते है.. हम वो हिंदुस्तानी है जहा एक साथ मिलकर चलने का सबक हमने दुनिया को सिखाया! हम विविधता में एकता की पहचान है

इसलिए मैं प्रेम की बात करता हूं क्यूंकि मेरा वतन मुझे यही सिखाता है.. धर्मो जातियों या समुदायों में बट जाना और नफरत फेलाना हमारी पहचान नहीं है अगर हम सही को सही और गलत को गलत कहने में आम आदमी से अलग समझे जाते है तो खुशी है मुझे की मैं आम नहीं हूं.. और यह सभी से कहूंगा तुम भी आम नहीं हो.. क्यूंकि तुम लिखना समझना पढ़ना और प्रेम करना जानते हो..

जो प्रेम की बात करे साथ चलने को कहे, तो मैं साथ चलने को तय्यार हूं! बुराईयां तो हर समाज में पनपती है अच्छे बुरे लोग हर और हमारे आस पास हैं तो क्या हम आवाज उठाना छोड़ दे,, बिलकुल नहीं" हम अगर सच और हक के साथ चले तो सब बुराईयां खत्म हो जाएंगी!

आज हमारे देश में कोई है जो नफरत के बाजार में मोहब्बत की दुकान खोल रहा है तो मैं उसके दुकान में ही बैठना पसंद करूंगा और ये कोई राजनीति नहीं है! ये तो हक और सच का रास्ता है और इसी हक और सच की मोहब्बत से हर देशवासी हिंदुस्तानी कहलाता है इसलिए,, "मैं हिंदुस्तानी भी हूं और हिंदुस्तान भी हूं!"