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~ अंध विश्वास ~
अंध विश्वास
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(स्वरचित काल्पनिक कहानी)

" नीतू चिल्लाती हुई घर में आई इंटरव्यू का रिजल्ट आ गया और मुझे संजीवनी हॉस्पिटल में जॉब मिल गई..... रैना .. रैना .. रैना
मैं बहुत बहुत बहुत खुश हूँ कहते हुए रैना के गले लग गई ।

रैना ने कस के उसे बाहों में भर लिया और बधाई देते हुए बोली -" मुझे पता था ... कि तेरा सलेक्शन हो ही जायेगा तूने इतनी मेहनत जो की थी ।"

हाँ वो तो सच है ... लेकिन इसमें कुछ तेरा भी कमाल है यारा कहते हुए उसने रैना को फिर से गले से लगा लिया।

इसमें मेरा क्या कमाल है कहते हुए नीतू ने उसे अलग किया ।

" अरे तुझे याद नही ?"
"क्या - रैना ने पूछा "

अरे !! ये धागा जो तूने मेरे हाथ में तब बाँधा था , जब मेरा पहला इंटरव्यू हुआ था और मुझे जॉब नही मिली थी , तब तूने ही तो ये धागा मेरे कहने पर आंटी से बोल कर ठीक वैसा ही धागा बाँधा था ना जैसा तेरे हाथ मे है ।

रैना मुस्कुरा दी उसने नीतू को पास में बैठाया और बोली तू बैठ मैं आती हूँ मम्मी को चाय के लिए बोल कर ।

थोड़ी देर में रैना की मम्मी चाय लेकर आ गई ।

रैना बोली " नीतू जैसा तू सोच रही है वैसा कुछ नही है ये तेरे हाथ मे जो धागा बाँधा हुआ है वो कोई चमत्कारी या मंत्र फूका हुआ नही है। ऐसा कह कर उसने नीतू का हाथ अपने हाथों में ले लिया ।'

"मम्मी सामने बैठी है तू पूछ ले क्या ऐसा कुछ है ?"

नीतू आँखों मे सवाल लिए रैना की मम्मी की तरफ देखने लगी।

रैना की मम्मी मुस्कुरा दी उसके सिर को प्यार से सहलाया और बोली - " नीतू ऐसा कुछ नही है बेटा,,,, रैना ने मुझे सब बताया ये रैना के हाथ मे जो धागा बंधा हुआ देखा था न तुमने वो तो उसे यूँ ही पसंद आ गया था हम बाज़ार में घूम रहे थे तब ,और हमने ले लिया
रैना को अच्छा लगा तो उसने बाँध लिया ।

लेकिन रैना ने बोला था कि ये धागा वो गाँव गई थी तब लाई थी वो जहाँ पर देवी का मंदिर है ।

हाँ वो गाँव से ही लाई थी रैना की मम्मी ने बोला लेकिन वो देवी के मंदिर का नही था बेटा ।

रैना बोली-" तूने शायद मेरी आधी ही बात सुनी थी उस वक़्त .... तू इतना परेशान थी और मुझे तभी जॉब मिल गई थी । शायद इसलिये तुझे लगा कि वो मन्नत का धागा था।"

रैना की मम्मी बोली ... रैना ने मुझे सब बात बताई और तुम्हारी ज़िद भी कि किसी भी तरह वो धागा उसे भी चाहिए । वो तो मैं चार- पाँच धागे वहाँ से यूँ ही ले आई थी क्योंकि धागा बेचने वाले के पास चेंज नही थी ।

"लेकिन आंटी मुझे तो विश्वास था नीतू ने कहा "

विश्वास अच्छी बात है बेटा मगर अंध विश्वास नहीं । तुम्हारी जॉब लगी ये तुम्हारी मेहनत का नतीजा है । जॉब ना होने पर तुम टूट गई लेकिन जब तुमने ये धागा बाँधा तो तुम्हारे अंदर एक नया जोश भर गया तुमने मेहनत की और ज़्यादा ... नतीजा तुम्हारे सामने है
शायद पहले कहीं कमी रह गई होगी वो पूरी हो गई ।
भगवान भी उनकी मदद करता है जो अपनी मदद खुद करते है तुमने अपने को तैयार किया तराशा मेहनत की और जो तुम्हें चाहिए था वो मिल गया।

"मतलब ये धागा कुछ नही है "- नीतू ने कहा

"है ना तुम्हारा विश्वास है अंध विश्वास नहीं " - रैना की मम्मी ने कहा और उन दोनों को गले से लगा लिया ।

@nu ..