इंसान की पीड़ा
बैठे बैठे बस यूं ही मन में एक ख़्याल आया कि हम सबका कोई न कोई अतीत होता है। और उस अतीत से जुड़ा होता है हमारा वर्तमान। हम अक्सर अतीत की धुंधली परछाई से पीछा छुड़ाने की नाकाम कोशिश करते हैं और अंत में ख़ुद को टूटा हुआ महसूस करते हैं। आख़िर ये अतीत हमें चैन से जीने क्यों नहीं देता?
कुछ लोगों के जीवन में घटी घटनाएं उन्हें इतना तोड़ कर रख देती है कि किसी पर भी विश्वास करना उनके लिए कठिन हो जाता है। मन में भय घर कर जाता है। चाह कर भी वो इन घटनाओं से ख़ुद को उबार नहीं पाते। दरअसल जीवन में कुछ भी सुनिश्चित नहीं है,समय का कालचक्र चलता रहता है, और हम समय अनुसार ख़ुद को ढालते रहते हैं। गर कुछ हमारे हाथ में है तो वो है मौक़े। हर एक मौक़ा हमें एक नई मंज़िल की ओर अग्रसर कराता है। भूल कर भी हमें ये नहीं भूलना चाहिए कि हम इंसान हैं, भगवान नहीं। समय रहते गर जीने की कला को स्वीकार कर आगे बढ़ेंगे तो इसमें फ़ायदा भी हमारा ही है। तो अतीत के साये से जितना हो सके, ख़ुद को दूर रखें और वर्तमान में जिएं क्यों कि ग़ुजरा हुआ समय कभी लौट कर नहीं आता।
धन्यवाद 🙏
© Aphrodite
कुछ लोगों के जीवन में घटी घटनाएं उन्हें इतना तोड़ कर रख देती है कि किसी पर भी विश्वास करना उनके लिए कठिन हो जाता है। मन में भय घर कर जाता है। चाह कर भी वो इन घटनाओं से ख़ुद को उबार नहीं पाते। दरअसल जीवन में कुछ भी सुनिश्चित नहीं है,समय का कालचक्र चलता रहता है, और हम समय अनुसार ख़ुद को ढालते रहते हैं। गर कुछ हमारे हाथ में है तो वो है मौक़े। हर एक मौक़ा हमें एक नई मंज़िल की ओर अग्रसर कराता है। भूल कर भी हमें ये नहीं भूलना चाहिए कि हम इंसान हैं, भगवान नहीं। समय रहते गर जीने की कला को स्वीकार कर आगे बढ़ेंगे तो इसमें फ़ायदा भी हमारा ही है। तो अतीत के साये से जितना हो सके, ख़ुद को दूर रखें और वर्तमान में जिएं क्यों कि ग़ुजरा हुआ समय कभी लौट कर नहीं आता।
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