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चिट्ठी पार्ट १
#चिट्ठी
लाइब्रेरी में बैठी हुई निकिता क़िताब के पन्ने पलट रही थी और बेसब्री से सुप्रिया का इंतज़ार कर रही थी। जब से सुप्रिया का कॉल आया था और उसने उसे लाइब्रेरी बुलाया था ये कह के की उसको उस चिट्ठी के बारे में कुछ पता चला है, तब से निकिता बेचैन थी।
library शांत थी, हल्के से पैरों के साथ एक आवाज़ अंदर की और मुड़ी और जल्दी से आवाज की आवाज की मालकिन निकिता के साथ वाली चेयर पर जाकर बैठी।
निकिता ने बेसब्री दिखाते हुए पूछा -"बताओ क्या पता चला है"
सुप्रिया सामने बैठी कुछ उलझन से उबरते बोली -"मुझे लगता हैं कि ये हमारे सेक्शन में से किसी ने नहीं लिखी है,हमने सबकी लिखावट चेक कर ली,हालाकि हम उसकी चेक नहीं पाएं"।
निकिता ने भोहें ऊंची कर पूछा -"कोन, किसकी चेक नहीं पाएं"।
सुप्रिया धीरे से बोली -पराग, जिसने तुम्हें!
"क्या! ये वो हो सकता है, हालाकि वो थोड़ा अजीब है पर मुझे नहीं लगता" थोड़ी देर सोचकर बोली।
सुप्रिया बोली -"लगता तो मुझे भी नहीं है पर वह दो दिनों से कॉलेज नहीं आया और इसके एक दिन पहले तुम्हे ये खत मिला हैं, हो सकता है वो हमारे बैचमेट का कोई दोस्त हो या किसी दूसरी बैच का हो"।
"ये भी हो सकता है, और हमारे पास कोई पुख्ता सबूत भी तो नहीं है इसके बारे में"- निकिता बोली।
"लेकिन हमें उसे ढूंढना होगा" सुप्रिया चेहरे पे गंभीर भाव लाकर बोली।
समाप्त

© Anna