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वोट - मिनी स्टोरी
चाय की टपरी में आज काफी गहमा गहमी है। बनवारी लाल हाथ में अख़बार लिए पढ़ रहे और हर एक ख़बर पर चाय की चुस्कियों के साथ चर्चा हो रही। जैसे चुनाव के दल वैसे ही चाय की दुकान भी दो हिस्सों में विभाजित हो गई थी। सब अपने विचारों को दो हिस्सों में रख रहे थे तभी एक हिस्से का बयान कुछ ऐसा रहा जिससे दोनों दल दंग रह गए। बनवारी लाल के निकट बैठा शख्स अपनी एक नई पार्टी बनाने की बात कह कर सभी को चौका दिया और यही नहीं अपनी नई पार्टी की गुट भी बनाने की बात का भंडा फोड़ दिया। वहीं बनवारी लाल के मन में चल रहे सवाल समाज के लिए था कि किसे वोट दूं और भला कौन समाज का कल्याण करेगा। यह सोच बनवारी लाल एक गहरी सोच के साथ वहां से उठकर चला गया।
क्या कुछ चल रहा था बनवारी लाल के मन में?