आत्म संगनी और मेरे मध्य संबंध
आत्म संगनी ओर मेरे बीच अब कोई पर्दा नहीं था। वोह मेरे ज़ख्म देख ,सुन चुकी थी ओर मैं उसके दर्द से वाकिफ था।इसी तरह हमारी कहानी के 100दिन कब गुजर गए हमें पता ही नही चला।
अब कोई दिन ऐसा नही गुजरता था जो हम अपने अपने हिस्से के दुख दर्द एक दूसरे को नही सुनाते हो।उसका मुझ पर अटूट विश्वास मेरी शक्ति बन...
अब कोई दिन ऐसा नही गुजरता था जो हम अपने अपने हिस्से के दुख दर्द एक दूसरे को नही सुनाते हो।उसका मुझ पर अटूट विश्वास मेरी शक्ति बन...