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छिपकली की परछाई...
"ले! कब से परेशान कर रही थी मुझे!" अनादि ने छिपकली को चप्पल से मार कर दूसरी तरफ गिरा दिया और फिर उसे उठा कर बाहर फेकना चाहा पर तभी उसकी नजर दीवार पर छिपकली की परछाई पर पड़ी।
अनादि के हाथ से मरी हुई छिपकली गिर गई, लेकिन उसकी आँखें दीवार पर चिपकी उस अजीबोगरीब परछाई से हट नहीं पा रही थीं।
एक तो वो परछाई कुछ ज्यादा ही बड़ी थी तो वहीं उसकी पूंछ भी अभी तक लहरा रही थी साथ में छिपकली की परछाई में दाँत और बड़े बड़े बाल दिखाई पड़ रहे थे जबकि जमीन पर पड़ी छिपकली बिल्कुल शांत थी और अनादि समझ नहीं पा रहा था कि छिपकली की परछाई में दाँत और बाल कैसे दिख रहे थे।
वह परछाई अब भी हिल रही थी, जैसे उसमें जान हो। बालों...