तमाचा
*एक कमरा था*
*जिसमें मैं रहता था*
*माँ-बाप के संग*
*घर बड़ा था*
*इसलिए इस कमी को*
*पूरा करने के लिए*
*मेहमान बुला लेते थे हम!*
*फिर विकास का फैलाव आया*
*विकास उस कमरे में नहीं समा पाया*
*जो चादर पूरे परिवार के लिए बड़ी पड़ती थी*
*उस चादर से बड़े हो गए*
*हमारे हर एक के पाँव*
*लोग झूठ कहते हैं*
*कि दीवारों में दरारें पड़ती हैं*
*हक़ीक़त यही*
*कि जब दरारें पड़ती हैं*
*तब दीवारें बनती हैं!*
*पहले हम सब लोग दीवारों के बीच में रहते थे*
*अब हमारे बीच...
*जिसमें मैं रहता था*
*माँ-बाप के संग*
*घर बड़ा था*
*इसलिए इस कमी को*
*पूरा करने के लिए*
*मेहमान बुला लेते थे हम!*
*फिर विकास का फैलाव आया*
*विकास उस कमरे में नहीं समा पाया*
*जो चादर पूरे परिवार के लिए बड़ी पड़ती थी*
*उस चादर से बड़े हो गए*
*हमारे हर एक के पाँव*
*लोग झूठ कहते हैं*
*कि दीवारों में दरारें पड़ती हैं*
*हक़ीक़त यही*
*कि जब दरारें पड़ती हैं*
*तब दीवारें बनती हैं!*
*पहले हम सब लोग दीवारों के बीच में रहते थे*
*अब हमारे बीच...