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बेकार की बात...
देखों, काम की बातें तो आपने बहुत देखी सुनी व पढ़ी होंगी पर बेकार की बात से आपका कभी वास्ता नहीं पड़ा होगा, पर कभी कभी बेकार की बात में भी वह मजा आता है जो काम की बात भी नहीं दे पाती ! इसलिए बात चाहे काम की हो या बेकार की आखिरकार उसे पढ़ने में तो कोई हर्ज नहीं है, आखिरकार आप इतने श्रम से समय निकाल कर कुछ पढने की सोच रहे है ! निसन्देह यह आपकी विशेष योग्यता ही है, जिसके बलबूत पर आज के व्यस्त जीवन में भी आप थोड़ा समय पढ़ने के लिए निकाल पा रहे हैं, वरना होता क्या है कि पडने से पहले ही लेख की लम्बाई देख कर ही घबराहट होने लगती है कि हाय... इतना सब पढ़ना पड़ेगा, बस यही है आज के हालात !
एक समय वो था जब किसी वरदान की प्राप्ति के लिए ही सही पर लोग तपस्या किया करते थे वह भी शारीरिक यातनाए उठाते हुए, और एक आज का समय है जिसे देखो वही ‘‘टाईम नहीं है !‘‘ की बात कहते नहीं थकता ! ऐसे ही लोगों की थोड़े से श्रम से हिम्मत पस्त हो जाती है, इसी उद्धेश्य को समर्पित है यह लेख... यदि आप इसका महत्व समझेंगें तो आप खुद सोचिए कैसे कहेंगें इसे ‘‘बेकार की बात‘‘ !
आईए पहले कुछ बातों पर गौर कर लें फिर ये आप पर है कि कैसी है यह बात -

सही चयन: पहली जरूरत

मंजिल की ओर जाने के अलग अलग रास्ते होते हैं कोई मार्ग सीधा लगता है पर रास्ते में आने वाली बाधाओं से निपटने के बाद ही मंजिल पर पहुंचने की बात सोची जा सकती है दूसरी ओर कोई राह शुरू में कठिन अवश्य लगे पर आगे जाकर उसपर चलने का मजा ही कुछ ओर आता है बस यहॉं बात उठती है सही चयन की ! यदि आपका चयन सही है तो आपका काम भी आसानी से पूरा होगा और दूसरी ओर गलत चयन न केवल काम की राह में रोड़े अटकायेगा अपितु आपको ऐसे संकट और विकट परिस्थितियों में डाल सकता है जिनके निवारण में ही आप व्यर्थ उलझे रहें , इसलिए जब भी बात चयन की हो महत्वपूर्ण निर्णय कभी भी जल्दबाजी में न लेना ही बेहतर होगा !
आज आवश्यकताओं की पूति के एक से बढकर एक संसाधन व खान- पान के नाम पर न केवल भारतीय लजीज खाने अपितु बाजार भरा पड़ा है विदेशी और खासकर चाईनीज़ व्यंजनों सें, झटपट तैयार और खाने में मजेदार !
यह बात खाने पर ही लागू नहीं होती, यदि आप गौर करें तो पायेंगें कि ऐसा कौन सा काम है जिसमें आपको चयन की जरूरत न पड़ी हो, बच्चों को ही लें वह भी अपनी पसंद के कपड़े पहनना ही पसंद करते हैं, और गौर करें तो आज हर सामान पसंद को ही ध्यान में रखकर लाया जाता है फिर बात पढाई लिखाई की चले तो भी विषयों में चुनाव की संभावना को बखूबी ध्यान में रखा गया है ! फिर काम काज यानि रोजगार में भी चयन किए बिना काम नहीं चल सकता ! यहॉं तक कि जब बात शादी-विवाह तक पहुंचें तो भी जीवन साथी के चयन के बाद ही बात आगे बढ़ती है ! और तो और किसी वृद्ध व्यक्ति को सामान्य छड़ी भी यदि लेनी हो तो वह भी ऐसे ही नही लेगें बल्कि कईं में से देख परख कर और चुन कर ही लेना पसंद करेंगें ! यानि कुल मिलाकर हर मामले में पहली जरूरत है ‘चुनाव‘ ! इसलिए चुनाव सही है तो ही आगे बात चलेगी वरना चयन पर ही बात रूक जाये और सीधे व दो टूक शब्दों में उसे‘‘बेकार है‘‘ कह दिया जाएगा!

आत्मसन्तुष्टि का अहसास

सही चयन के बाद स्वतः ही होगा आत्मसन्तुष्टि का अहसास ! कहने की आवश्यकता नहीं है कि आज विज्ञान के क्षेत्र में नये आयाम व उन्नत तकनीकी कार्य कुशलता जिस प्रकार सामने आ रही है इसे एक अच्छे युग की शुरूआत कहें या समय के साथ आगे बढ़ना, पर यह जो राह है वह किसी पड़ाव...