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नीली बनारसी साड़ी
।।कहानी, नीली बनारसी साड़ी ।।

एक लड़की के बचपन की सबसे मधुर स्मृतियों में एक स्मृति उसकी माँ के सुंदर-सुंदर कपड़े और साड़ियों की स्मृति! और मेरी स्मृति में मेरी माँ की नीली, मोर पंखिया, सुंदर, चमकीली, सोने की तारों जड़ी ,बनारसी साड़ी !!
यह साड़ी माँ को वरी की बाकी साड़ियों के साथ मिली थी। उस जमाने की महंगी, कीमती साड़ी थी।  ससुराल वालों की दी हर चीज़ कितनी महंगी होती है यह बात बहू को बार-बार याद करवाई जाती है। और इधर मैं जब भी मौका मिलता , माँ के कमरे की अलमारी की सौंधी खुशबु वाली शेल्फ के आयत के परिमाप में जैसे परी लोक ही घूम आती। रंग-बिरंगी साड़ियां, मेकअप का सामान और न जाने क्या! क्या!

अरे! अरे! बस! बस! रुक जाओ! इतना सब मत सोचो! मेरी माँ की अलमारी में ऐसा कुछ भी नहीं था। बस कुछ साड़ियां और सबसे सजीली, मनभावन नीली बनारसी साड़ी!

अथक परिश्रमी मेरी माँ केवल हमारी माँ के रूप में ही प्रभुत्व पूर्ण थीं।  बाकी रिश्तों में उन्हें कभी उस अधिकार, सत्ता का अहसास नहीं हुआ था, जो हमारी पढ़ाई, कपड़ों, अनुशासन के बारे में उन्हें हमारे सम्मुख शक्तिशाली बनाता था। ट्यूशन पढ़ाना, कपड़े सिलने, घर के सभी काम। जैसे कि रूढ़िवादिता के डंक से ग्रसित रसोई की...