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"जिज्ञासा"


#curiosity #mystry #science #technology

20 अगस्त सन् 1977

अमेरिका की स्पेस एजेंसी नासा द्वारा एक स्पेस प्रोब वायेजर-2, (जोकि वायेजर-1 का जुड़वां था) अन्तरिक्ष में भेजा गया। इसका उदेश्य सौर मण्डल के दूरस्थ ग्रहों बृहस्पति, शनि, यूरेनस और नेपच्यून की जानकारियाँ प्राप्त करना था। इसे अन्तरिक्ष में भेजते समय ग्रहों की विशेष स्थिति का ध्यान रखा गया था, जिसमें सभी ग्रह एक सीधी रेखा में आ जाते हैं। ग्रहों की ऐसी स्थिति 176 वर्षों में एक बार ही आती है। वायेजर-2 ने अपनी यात्रा में उपरोक्त चार ग्रहों और उनके अनेक चंद्रमाओं का अध्ययन किया तथा उनकी इनफॉर्मेशन एवम् डिटेल्ड चित्र धरती पर भेजे। इस स्पेसक्राफ्ट का अभियान नेपच्युन के साथ ही पूरा हो गया था। लेकिन यह लगातार और सही सलामत आगे बढ़ रहा था, तो इसका अभियान अब सौर मण्डल के बाहर अंतरखगोल अभियान कर दिया गया।

05 सितम्बर सन् 1977

वायेजर-2 लॉन्च के ठीक सोलह दिन बाद वायेजर-1 लॉन्च कर दिया गया। इसका उदेश्य सौर मण्डल के बाहरी अन्तरिक्ष का अध्ययन एवम् अवलोकन करना था। इन दोनों ही यानों पर वैज्ञानिकों द्वारा एक ख़ास चीज लगायी गई थी। इन यानों पर सोने की एक-एक डिस्क है, जिसमें किसी संभावित बुद्धिमान सभ्यता के लिये पृथ्वी वासियों का संदेश है।

इस डिस्क पर पृथ्वी की अधिकतर जानकारी है, जैसे सभी मुख्य भाषाओं में संदेश, पृथ्वी पर सुनाई देने वाली लगभग प्रत्येक आवाज़, सभी जीवों के चित्र, हर प्रकार का संगीत यहां तक कि हमारे देश भारत का क्लासिक गीत "जाट कहां हो" (भैरवी राग पर आधारित) तथा सभी प्रकार की छोटी-बड़ी वैज्ञानिक एवम् गैर वैज्ञानिक जानकारी है।

आज लगभग 47 वर्षों बाद ये दोनों अलग-अलग दिशा में 17 किलोमीटर प्रति सेकंड की चाल से चलते हुए, पृथ्वी से क्रमश 20 तथा 24 बिलियन किलोमीटर दूर जा चुके हैं। दूसरे शब्दों में यह कि दोनों ही हमारे सौर मण्डल को पार कर हीलीयोस्फीयर में हैं। पृथ्वी से अंतरिक्ष में इतनी दूर पहुंचने वाले इंसानों द्वारा बनाए ये दोनों स्पेसक्राफ्ट्स हमारे विज्ञान के इतिहास में पहले हैं। खगोल विज्ञान में इन दोनों की भूमिका अविश्वसनीय एवम् अभूतपूर्व है।

लेकिन प्रश्न यह है कि इतनी दूर-दराज तक अन्तरिक्ष खंगालने के बाद भी क्या कोई मिला? उत्तर है नहीं। चारों ओर केवल खालीपन और अज़ीब-सा गूंजता हुआ शोर, जो कदाचित ग्रह-उपग्रह या इस अनंत ब्रह्माण्ड में तीव्र गति से विचरते पिण्ड आदि की ध्वनि हो सकती है।

तो क्या इस ब्रह्माण्ड में हम अकेले हैं?
केवल पृथ्वी पर ही जीवन है?
क्या हम विकास-क्रम का नतीज़ा हैं?
क्या सच में हमारे पूर्वज चिंपांज़ी थे?
यदि यह सच है तो फिर बाक़ी सब चिंपांज़ी ही क्यों रह गए?
कहीं ऐसा तो नहीं कि हम चिंपांज़ी से विकसित हुए ही न हों, बल्कि हमें सीधे तौर पर यहां भेजा गया हो?
क्या यह हो सकता है कि हम बायोमैकेनिकल रोबोट्स, गॉड इंजीनियरिंग का नतीज़ा हों? और हमें सुदूर सितारों से यहां भेजा गया हो?
क्या इसलिए ही अक्सर हमारी निगाहें ऊपर सितारों की ओर जाती हैं?
इस पृथ्वी से डायनासोर को क्या हम इंसानों के लिए ही हटाया गया था?
यह भी तो हो सकता है कि यहां आगमन के शुरुआती समय में हम इंसानों ने ही चिंपांज़ी के DNA को ऑल्टर किया हो, ताकि उनसे इंसानों की तरह काम लिया जा सके!
यदि ऐसा है तो फिर हमें यहां भेजने वाले कहां हैं?
क्या है इन सवालों का ज़वाब? और कौन हैं हम?

ASHOK HARENDRA
into.the.imagination