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आपने पिछले चैप्टर में पड़ा कि अनन्या का जन्मदिन होता है । जन्मदिन वाले दिन वह अंकित को मैसेज कर देती है और उसे अपना बेस्ट फ्रेंड चुन लेती है ।

अब अंकित और अनन्या दोनों दोस्त बन चुके हैं ।

अब आगे देखिए क्या होता है ?

कैसे उनकी दोस्ती आगे बढ़ती है ? 

अनन्या :- "अच्छा मैं तुम्हें एक बात बताऊं क्या ?"

अंकित :- "हां , इसमें पूछने वाली कौन सी बात है ? बताओ ! क्या बात है , क्या बताना है ?"

अनन्या :- "अंकित ! आज मेरा जन्मदिन है ।"

अंकित :- "तो तुमने मुझे पहले क्यों नहीं बताया ? अब बता रही हो , जब तुम्हारा जन्मदिन खत्म होने वाला है ।"

अनन्या :- माफ करना । लेकिन , मैं सुबह से व्यस्त थी ।

अंकित :- चलो कोई बात नहीं । देर ही सही लेकिन , जन्मदिवस की तुम्हें बहुत सारी बधाई हो । तुम हमेशा खुश रहो ।

अनन्या :- शुक्रिया  अंकित !

अंकित :- चलो बताओ , अब तुम्हें अपने जन्मदिन में क्या तोहफा चाहिए ।

अनन्या :- अंकित मुझे कोई तोहफा नहीं चाहिए ।

अंकित :- लेकिन क्यों ?

अनन्या :- बस मुझे तोहफो से ज्यादा अपने दोस्त अच्छे लगते हैं ।

अंकित :-  मैंने तुम्हें कहा था ना तुम सच में दिलचस्प बातें करती हो ।

अनन्या :- रहने भी दो ।

ऐसे अनन्या और अंकित बातें करते जाते हैं ! उन्हें समय का पता ही नहीं चलता कि कब रात के 12:00 बज गए हैं ।

इतने में अनन्या को नींद आने लगती है । वह अंकित से कहती है क्योंकि अब काफी समय बीत गया है । क्यों ना सोया जाए । अंकित  हां और शुभ रात्रि कह देता है ।


अगले दिन

सुबह पहले उठते hiiअनन्या फोन देखती है अंकित को सुप्रभात का मैसेज करने के लिए ।

लेकिन , अंकित का पहले से ही मैसेज आया होता है ।

अंकित :- सुप्रभात अनन्या !

अनन्या :- सुप्रभात अंकित !

अंकित का तभी जवाब आ जाता है :- कैसे हो ?

अनन्या :- अच्छी हूं । तुम बताओ तुम कैसे हो ?

अंकित :- मैं भी ठीक हूं ।

अंकित :- अच्छा एक बात बताओ कुछ हुआ है क्या तुम्हारे साथ ?

अनन्या :- नही तो लेकिन तुम क्यों पूछ रहे हो ?

अंकित :- मुझे लगा की कुछ हुआ है तो पूछ लिया ?

अनन्या :- हाँ पर तुम्हे ऐसा क्यों लगा ?

अंकित :- क्योंकि आज की सुबह मुझे बाकि की सुबहो से अलग लगी |

अनन्या :- अच्छा ऐसा क्या ! पर क्यों ?

अंकित :- क्योंकि आज सुबह मेरी तुमसे बात हो गयी |

अनन्या :- ओह ऐसा क्या !

अंकित :- हां , जी !

दोनों हसने लगते है |

अब आगे........... 

बस फिर क्या था ऐसे ही रोजाना उनकी बातें होने लगी और उनकी दोस्ती बढती गयी | अंकित को अनन्या अच्छी लगने लगी और अनन्या को भी अंकित से बात करकें अच्छा लगता था |

अंकित उसकी बातें सुनता और अनन्या उसे अपनी जिन्दगी में हो रहा सबकी जानकारी देती रहती |

ऐसे ही एक दिन की बात है अनन्या और अंकित बात करते करते परिवार के सन्दर्भ में बात करने लगे |

अनन्या :- वैसे तुम्हारे घर में कौन कौन है ?

अंकित :- मम्मी - पापा , दादा - दादी और मैं |

अनन्या :- अच्छा तो तुम अकेले हो | तुम्हारी कोई बहन नही है , ना ही कोई भाई है |

अंकित :- हाँ ऐसा ही है | अच्छा मेरी छोड़ो तुम अपनी बताओ |

अनन्या :- पहले तो मुझे तुमसे माफ़ी चाहिए |

अंकित :- मतलब ?

अनन्या :- मतलब ये की मैं असल में अनुपगढ रहती हूँ |

अंकित :- लेकिन तुमने तो कहा था की तुम जयपुर रहती हो |

अनन्या :- हां लेकिन मैंने झूठ कहा था |

अंकित :- लेकिन क्यों ?

अनन्या :- क्योंकि मैं अजनबियों से बात नही करती |

अंकित :- मतलब मैं अजनबी ?

अनन्या :- अरे नही वो शुरू में तो थे ना | अब तो अपने दोस्त बन गये है |

अंकित :- हाँ वो तो है | अच्छा छोड़ो अब अपने परिवार के बारे में बताओ |

अनन्या :- ओह हाँ ! मैं , मम्मी - पापा और 2 भाई |

अंकित :- अच्छा ऐसा क्या !

अनन्या :- हाँ बस छोटा सा परिवार है हमारा |

अंकित :- चलो अच्छा है | मुझे काम है तो अपने बाद में बात करें |

अनन्या :- हाँ जरुर |

अंकित :- ठीक है |

इतने में दोनों अपना अकाउंट बंद कर देते है |

अंकित तो पहले से खुश रहता था और अब तो और भी ज्यादा खुश रहने लगा |

बात यहाँ अनन्या की थी | उसके जन्मदिन वाले दिन भी कुछ ऐसा हुआ था | लेकिन क्या ! वो तो बस अनन्या ही जानती थी | और कोई कैसे जानता भला , जब अनन्या किसी को बताये ही ना तो |

अब दिखती तो अनन्या खुश ही थी लेकिन , क्या वो वाकई खुश थी ! ये बात तो हमे बस अनन्या खुद ही बता सकती थी |

अनन्या अपने विचार किसी के भी सामने दिल खोल के रख देती थी लेकिन वही बातें जो उसे बताने में कोई दिक्कत नही होती थीं | अभी भी बहूत कुछ ऐसा था जो अंकित को नही पता था |

वैसे पता तो आपको भी नही है |

धीरे धीरे आगे बढ़ते है और जानते है की अनन्या की बाकी कहानी क्या है ? अब तक क्या है जो अंकित के साथ आप सब भी नही जानते |

जानने के लिये बने रहिये मेरे साथ | अब मैं अनुराधा दोहरे आप सब से विदा लेती हूँ |


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