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जब मेरी चोरी पकड़ी गई
वो दिन मुझे आज भी अच्छे से याद हैं जब मेरी चोरी पकड़ी गई ! कह कर सरला ठहाके लगा लगा कर हंस रही थी...!!
बात लगभग 22 साल पुरानी है। दरअसल मार्च का महीना था और जाड़े के मौसम समाप्त होने के कगार पड़
ऐसे में मौसम के साथ साथ हम में भी बहुत बदलाव होते हैं। जो प्रायः नज़र नहीं आते हैं। मगर कभी कभी दिख जाते हैं।सरला जिसका ब्याह अगले महीने होने वाला है।
की तबीयत अचानक बिगड़ गई। पहले तो नीम हकीम की
दबाइयां की गई।जब बात नहीं बनी तो सरला को डाक्टर के पास ले जाया गया। डॉक्टर ने चेकअप वगैरह करके
पानी चढ़ाना शुरू किया और लगभग छः बोतल पानी चढ़ाया तब कहीं जाकर सरला को होश आया। जब उसे होश आ गया तो डॉक्टर ने कुछ दवाइयां देकर उन्हें घर भेज दिया। ठीक होने के वाबजूद भी सरला ठीक नहीं थी।
वो बिस्तर से उठ ही नहीं पा रही थी। जैसे उठने की कोशिश करती चक्कर खाकर गिर जाती। ऐसा तो पहले कभी हुआ नहीं था। घरवालें सरला को लेकर काफी चिंतित थे। जब फिर से डाक्टर के पास गए तो उन्होंने कहा घबराने जैसी कोई बात नहीं है। थोड़ा खानपान का ध्यान रखें।सब ठीक हो जाएगा..!
कह कर उन्होंने खान-पान की एक लिस्ट थमा दी।
जिसको लेकर ये लोग घर आ गए।शादी में अब कुछ ही दिन बाक़ी थे और सरला की हालत कोई सुधार नहीं हो रहा था। अब तो सरला भी चिंतित रहने लगी। आखिर ऐसा क्या हो गया कि मैं बिस्तर से उठ ही नहीं पा रही हूं।
सरला को काम करना बहुत पसंद था। वो कभी खाली नहीं बैठती थी। हर समय कुछ ना कुछ काम करते ही रहतीं थीं।कभी पढ़ाई तो कभी सिलाई-कढ़ाई और कभी घर के कामों में घरवालों का हाथ बंटाना का काम।
उसके इसी स्वभाव की वजह से घर वालें भी बहुत पसंद करते थे। मगर अभी वो कुछ भी नहीं कर पा रही थी।
घर में इतने काम पड़े थे शादी को लेके और वो बिस्तर पर पड़ी पड़ी आंसु बहा रहीं थी।ऐसे ही एक दिन अचानक बारिश होने लगी तो घर में पकौड़ियां तली गई।
सबने खूब पकौड़ियां खाई। मगर सरला को नहीं मिली पकौड़ियां खाने को। डाक्टर ने बहुत सी चीजें सरला को मना कर दिए थे। जिस वज़ह से सरला थोड़ी नाराज हो गई थी। वो किसी सहारे से चल कर अपने पापा के कमरें में टी बी देखने चली गई ।टीबी देखते-देखते उसका ध्यान
वहीं बगल में पड़े सत्तु के डब्बे पर गया। सत्तु उसे बहुत पसंद थी। जिस वजह से वो अपने आप को रोक नहीं पाई। एक नज़र इधर उधर देख कर उसने डब्बे से एक पेपर पर सत्तु निकाली और उसमें भरपूर मात्रा में चीनी मिला कर खाने लगी।उसे इस तरह से सत्तु खाने में बहुत मज़ा आता था। डर भी लग रहा था कि कोई देख ना ले! मगर खाने का स्वाद भी बहुत आ रहा था। तेज़ धड़कनों से उसने जल्दी जल्दी सत्तु खाने लगी। लगभग सत्तु खत्म हो ही गया था कि कमरे में किसी के आने की आहट सुनाई दी।सरला ने जल्दी जल्दी सत्तु वाले पेपर मोड़ कर तकिए के नीचे छुपा दिया। और वहीं सोने का नाटक करते हुए सरला बिस्तर पर लेट गई। जब सरला सरला की आवाज़ सुनी तो सरला ने कहा अरे मां आप..??
सरला हड़बड़ा कर उठ बैठी! मां ने सरला का चेहरा देख जोर से हंस पड़ी। और कहने लगी कुछ खा रहीं थीं तुम नहीं मां सच्ची में मैंने कुछ भी नहीं खाया है।
देखो तुम्हारे मुंह पे ये क्या लगा हैं...??
जैसे ही सरला ने अपने मुंह पे हाथ रखा हाथों में पाउडर सा कुछ लगा...!अरे ये तो सत्तु है।सरला पहले तो यह सोचकर सकपका गयी। कि मेरी चोरी पकड़ी गई।
मग़र अगले ही पल दोनों मां बेटी जोर जोर से हंसने पड़ी...!!
किरण