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" हाथ मिलाने रुक जाना ..." P1 - letter -1 ___ writer - Srushti Mahajan
हर लव्ह स्टोरी पुरी नहीं होती...हमारी भी कूछ ऐसी ही थी... मे ओवी, तुम्हारी एक बोहोत खास लेकीन अनजान दोस्त थी मे । आज तुम्हे सुट - बुट मे मेरे शहर मे देखा और मे तुमसे बात नही कर पायी पर तुम्हारे पॉकेट से एक वॉलेट मिला जिसमे मेरी बचपन की तस्वीर थी और उस तस्वीर के पीछे यही लिखा था के हर लव्ह स्टोरी पुरी नही होती और हमारी भी कुछ ऐसी ही थी । मे इसका मतलब नही समझ पायी नितेश पर आज तुमने मुझे मेरे सबसे खास दोस्त की याद दिला दी । तुम्हारी याद दिला दी मुझे 10 साल बाद। हम इतने अच्छे दोस्त बन चुके थे लेकीन हम एक दूसरे का नाम तक नही जानते थे ।
याद है, हमारी मुलाकात कैसे हुई थी, तुम्हारा भाई जो मुझे बोहोत परिशान करता था और मे उससे तंग हो गई थी । तब एक दिन . , तुम मेरे लिए अपने भाई से लढ रहे थे की वह मुझे परिशान ना करे । सच कहूँ तो मैंने उस दिन तुम्हे पेहली बार देखा था लेकिन तुम और तुम्हारी सोच मुझे बिलकुल अपने जैसी लगी । छोडो , मुद्दे पर आते है ; हाँ ,तुम अपने भाई मेरे लिये लढ रहे थे और अचानक से तुमने देख लिया की के मे सुन रही हूँ। तब तुमने एक ऑकवर्ड स्माईल दी और मे वहा से चली गयी ।" एक गाव का लड़का इतना सीधा और अच्छा!", सोच रही थी में । मे वहा खेलने आती थी गरमियो की छुट्टिया होती थी इस लिए और वहा तुम्हारा घर था । वैसे वो मेरे मामा का गाव था ये तो तुम थी जानते हो और ये भी जानते हो की मे अपने शहर के घर से ज्यादा मामा के गाँव मे रहती थी । मैंने अपने ग्रँड मदर से तुम्हारे बारे मे पूछा तो मुझे ये पता चला की तुम भी शहर के हो लेकीन मेरे शहर से नही । पर हाँ वहा किसीको तुम्हारा असली नाम नही पता था।
फिर, दूसरे दीन मे जब खेलने आई तो तुमने मुझे मेरे बारे में पूछा पर नाम के अलावा सब कुछ!और मैंने भी तुमसे तुम्हारे बारे मे पूछा । हमारी काफी सोच और हॉबिस मिलती थी और हम फ्रेंडस् बन गये । ये बात मेरी ग्रँड मदर और मामा को भी पता थी । अब हम रोज बाते करते थे और मेरी ग्रँड मदर भी रोज वहा से गुजर ती थी तो हमे देखती थी क्योंकि हम पास - पास ही रहते थे और गाव भी तो छोटासा था । हम बोहोत अच्छे फ्रेंड्स बन गये थे । तुम होगे 18 - 19 के ओर मे तो काफी छोटी थी पर तुम मुझे काफी रिस्पेक्ट करते थे और सारी लड़की यो को भी । पर मेरी ग्रँड मदर ने तुमसे मिलने से मना कर दिया अचानक एक दिन क्योंकि तुम लडका थे ओर मे लड़की । उस दिन मैने एक फाल्तु सी बात पर तुमसे झगडा किया और मे चली गयी । अब मे वहाँ रोज आती तो थी पर तुमसे बात नही करती थी । पर , तुम मुझे हजारो बार सॉरी बोल चुके थे और रोज मुझे मनाने की कोशिश करते थे । पर छुट्टिया खतम और हमारी दोस्ती भी ।
मे तुम्हे कभी छोड़ना ही नही चाहती थी पर मे अपने ग्रँड मदर से बोहोत प्यार करती थी इसलिए मुझे उन्हे चुनना पड़ा । मैंने उन्हे समझाने की बोहोत कोशिश की थी लेकिन मे असफल रही । आज भी तुम्हे धोखा देने का बोज है मेरे सरपे । मुझे माफ कर देना । तुम्हे ये लेटर लिख तो रही हूँ लेकीन कभी दे नही पाऊंगी नितेश ... I am sorry! हाँ और एक बात जो तुमने कही थी जब मैं शहर के लिए आ रही थी के अगर मै तुम्हे कभी मिलू तो 'हाथ मिलाने रुक जाना ' लेकीन मे दुवा करूंगी के तुम मुझे अब कभी ना मिलो मेरे खास दोस्त । मे खुदको संभाल नही पाऊंगी ....
-ovi
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