तिरस्कार या मजबूरी (Corona और रिश्ते)
गोपाल किशन जी एक सेवानिवृत अध्यापक हैं । सुबह दस बजे तक ये एकदम स्वस्थ प्रतीत हो रहे थे । शाम के सात बजते-बजते तेज बुखार के साथ-साथ वे सारे लक्षण दिखायी देने लगे जो एक कोरोना पॉजीटिव मरीज के अंदर दिखाई देते हैं ।
परिवार के सदस्यों के चेहरों पर खौफ़ साफ़ दिखाई पड़ रहा था । उनकी चारपाई घर के एक पुराने बड़े से बाहरी कमरे में डाल दी गयी जिसमें इनके पालतू कुत्ते मार्शल का बसेरा है । गोपाल किशन जी कुछ साल पहले एक छोटा सा घायल पिल्ला सड़क से उठाकर लाये थे और अपने बच्चे की तरह पालकर इसको नाम दिया *मार्शल* ।
इस कमरे में अब गोपाल किशन जी , उनकी चारपाई और उनका प्यारा मार्शल हैं ।दोनों बेटों -बहुओं ने दूरी बना ली और बच्चों को भी पास ना जानें के निर्देश दे दिए गये ।
सरकार द्वारा जारी किये गये नंबर पर फोन करके सूचना दे दी गयी । खबर मुहल्ले भर में फैल चुकी थी लेकिन मिलने कोई...