...

2 views

दोस्ती दुल्हन प्यार दूल्हा
रशिका और अनुराग बहुत अच्छे दोस्त थे
दोनों साथ में ही पढ़ते थे

अनुराग बनारस में रहता था उसके पापा की जॉब पहले प्रयागराज में लगी थी इसलिए अनुराग ने अपनी पढ़ाई
उसी शहर में रहकर पूरी की इंटर की पढ़ाई पूरी होने के बाद अनुराग अपने परिवार के साथ अपने निजी घर बनारस में रहने लगा था

उधर रशिका भी अपनी जॉब के लिए प्रयागराज से बनारस आयी और बनारस में रशिका एकदम अकेली थी बिल्कुल नया शहर था बनारस रशिका के लिए
रशिका बनारस में ही किराये पर रहने के लिए अपने लिए कमरा देखने लगी
और उसे कमरा मिल भी गया और रशिका अपने कमरे को साफ करने लगी

रशिका को अपने कमरे में पंखा लगवाना था तो इसलिए उसने अपनी मकान मालिक से कहा कि आंटी मुझे छत वाला पंखा लगवाना है यहाँ कोई बिजली का कारीगर मिल जायेगा

आंटी ने कहा क्यूँ बेटा पैसा मिस्त्री को पैसा दोगी
अभी मेरा बेटा आ जायेगा मैं उसको कह दूँगी वो लगा देगा पंखा
बस हमें आज तुम अपने हाथ की चाय बनाकर पिला देना इस पर रशिका ने हँसते हुए कहा आंटी सिर्फ़ चाय से थोड़ी न बात बनेगी मैं नमकीन भी बनाऊँगी ।

रशिका अपने कमरे को सजा रही थी क्यूँकी उसे घर की साज सजावट करने का बहुत शौक था और उसका कहीं कोई अपना घर भी नहीं था
इसलिए रशिका बहुत मन से एकदम अपना घर मानकर कमरे को सजा रही थी।

रशिका स्टूल पर चढ़ कर कुछ तस्वीर दीवार पर लगा रही थी तभी मकान मालिक का लड़का दरवाजा खटखटाता है रशिका को लगता है कि आंटी आयीं हैं तो वो अंदर से ही कहती है आंटी दरवाजा खुला है अन्दर आप आ जाईये

रशिका नीचे उतर कर अनुराग को देखती है और कहती है तुम यहाँ तुम तो प्रयागराज में रहते थे न
तब अनुराग कहता है वहाँ पर मैं रहता था पर मेरा निजी घर यही है पापा आर्मी में थे न तो इसलिए वहाँ पर घर मिला था तो वहीं से ही पढ़ाई भी की है

रशिका अनुराग से कहती है ये तुम्हारा घर है
अनुराग कहता है कितना बोलती हो तुम लाओ पंखा बताओ कहाँ लगाना है कितनी गर्मी है यहाँ और तुम बस स्टूल पकड़ लो मैं पंखा लगा देता हूँ

रशिका अनुराग से बाते करती रहती और अनुराग पंखा लगा कर नीचे उतरता है और रशिका से कहता है जाओ पंखा चलाओ अनुराग वहीं स्टूल पर बैठ जाता है
तो रशिका अनुराग को कहती है कि अरे इस पर क्युं बैठ गए बैड पर बैठो आराम से मैं आंटी को बुला कर लाती हूँ नमकीन बन गई है बस चाय बनाना है

फिर अनुराग रशिका को बताता है वो चाय और नमकीन मुझे दो मम्मी अभी पड़ोस में एक पूजा में गयी हैं हो सकता है कि देर हो जाये

फिर रशिका अनुराग के लिए चाय बनाकर के लाती है
और दोनो लोग चाय पीते हुए खूब बातें करतें हैं
रशिका कहती है चलो इस अंजान शहर में कोई तो जान पहचान का मिला ।

अनुराग चाय पीकर जाने लगता है तो रशिका को कहता है कि किसी भी हेल्प की जरूरत हो तो कह सकती हो मेरी मम्मी से या फिर मुझसे बिना किसी संकोच के
रशिका कहती है जरूर क्यूँ नहीं ।

रशिका अपने ऑफ़िस से आने के बाद अनुराग की मम्मी के पास चली जाती थी तो कभी अनुराग की मम्मी रशिका के पास आ जाती थी दोनों ही लोग की बहुत अच्छी बनती थी और अनुराग भी जब भी फ़्री होता था तो रशिका के पास चला जाया करता था

अनुराग रशिका को अपनी सबसे अच्छी दोस्त मानता था और उससे अपनी हर बात शेयर करता था
इधर रशिका को अकेलेपन की वजह से अनुराग का साथ अच्छा लगता था और वो मन ही मन उसे चाहने भी लगी थी पर कभी उसने अपने प्यार का इजहार नहीं किया और अनुराग को तो साल में चार बार किसी न किसी लड़की से प्यार हो जाता था

अपने हर प्यार के किस्से अनुराग रशिका को सुनाता और पूछता ये बताओ तुमको कभी प्यार हुआ है इस बात पर रशिका चुप रहती है और कहती है कि हाँ हुआ न पर एकतरफा इस पर अनुराग कहता है कौन है वो पागल हमें भी बताओ

एक दिन अनुराग बहुत नाराज़ रहता है और रशिका के पूछने पर भी उसे कुछ नहीं बताता
फिर दूसरे दिन वो रशिका को सारी बात बताता है

अनुराग के परिवार में सब आर्मी में थे पापा
बड़े पापा एक भाई एयर फोर्स में तो
दूसरा भाई आर्मी में था।

अनुराग के परिवार का सपना था की वो नेवी में जाये क्यूंकि उसके परिवार में सब आर्मी में थे
और अनुराग होटल मैनेजमेंट का कोर्स करना चाहता था और उसकी फ़ैमिली उसे सपोर्ट नहीं कर रही थी ।

फिर रशिका ने उसे उसके सपने के लिए सपोर्ट भी किया और अपनी सेविंग के पैसे भी उसे दे दिए और कहा कि जब जॉब लग जाये तो वापस कर देना
अनुराग ने रशिका को एक दोस्त की तरह गले लगा कर कहा रशिका तुमसे बात करके सिर्फ़ मेरा मन ही हल्का नहीं होता बल्कि तुम तो मेरी परेशानी को ही दूर कर देती हो ।

अनुराग को कुछ दिन बाद पता चलता है कि रशिका उससे प्यार करती है
ये जानकर अनुराग रशिका पर बहुत गुस्सा हुआ।
क्युंकि अनुराग रशिका को सिर्फ़ अच्छा दोस्त मानता था और कुछ नहीं ।

अनुराग रशिका से इतना नाराज़ हो गया था कि उसने रशिका से बात करना और मिलना भी बन्द कर दिया था
अनुराग के ऐसे नाराज़ होने से रशिका बहुत दुखी होती है क्युंकि एक अनुराग ही था जिससे मिल कर बात कर के रशिका के सारी टेंशन दूर हो जाती थी ।

रशिका अंदर ही अंदर एकदम अकेली हो गयी थी
करीब बीस दिन हो गये अनुराग की नाराजगी दूर ही नहीं हुयी और जब भी रशिका उसके सामने पड़ती तो वो उसे किसी अंजान की तरह नजरंदाज कर देता था ।

रशिका ने अब अपना प्रयागराज जाने का मन बना लिया था
क्यूंकि अनुराग की नाराजगी उसे अंदर से कमजोर कर रही थी।

रशिका जाने से पहले अनुराग की मम्मी से मिलने जाती है और अनुराग की मम्मी को गले लगा कर खूब रोती है
और रशिका दिल की बहुत अच्छी थी इसलिए अनुराग की मम्मी को रशिका के जाने का बहुत दुख था और वो रशिका का माथा चूम कर कहतीं हैं
बेटा जब भी याद आये न अपनी आंटी की तो मिलने आ जाना लेकिन हमें याद करके कभी उदास मत होना
भगवान तुम्हारे सारे सपने पूरा करे हमेशा खुश रहो आराम से जाना और पहुँच कर फ़ोन करना ।

कुछ देर बाद अनुराग अनुराग जागा तो अपनी माँ को उदास देखा काफी देर तक उसने कुछ नहीं पूछा फिर जब बहुत देर तक उसकी माँ उदास रही तो पूछ बैठा मम्मी क्यूँ उदास हो भाईया की याद आ रही है या भाभी और बच्चों की रुको मैं फ़ोन लगाता हूँ भाभी के पास इस बात पर उसकी मम्मी बोली नहीं बेटा वो तो आज रशिका चली गयी है ना तो बस उसकी ही याद आ रही है ढाई साल से वो यहाँ पर थी और उसके वजह से कभी दोनों बहुओं की भी याद नहीं आयी।

ये सुनकर अनुराग ने कहा अरे मम्मी वो आ जायेगी यहाँ पर जॉब है उसकी तो उसकी माँ ने कहा नहीं बेटा उसे अपने ही शहर में जॉब मिल गयी है अब वो वहीं रहेगी।

अनुराग ने कहा मम्मी उसने बताया नहीँ यहाँ पर जॉब क्यूँ छोड़ी इतनी अच्छी जॉब थी उसकी उसकी माँ ने कहा यही तो मैं सोच रही हूँ उसका इस दुनिया में कोई भी नहीं है और उसकी बहन भी उससे कोई मतलब नहीं रखती उसके मम्मा-पापा के जाने के बाद से सबकी शादी हो चुकी है सब अपने आप से मतलब रखतीं हैं इसलिए वो यहाँ आयी थी अब फिर प्रयागराज क्यूँ चली गयी ।

अनुराग ने बहुत हैरानी से पूछा क्या मम्मी सच में वो अकेली थी उसकी मम्मी ने कहा हाँ अनुराग ने कहा पर उसने कभी आज तक कुछ बताया नहीं अपने बारे में
उसकी मम्मी कहने लगी हम लोगों ने भी कभी कहाँ पूछा था उसके बारे में वो तो दो दिन से मिलने भी नहीं आयी थी तो मैं ही उसके क्मरे में मिलने चली गयी थी ।

फिर जब मैं उसके कमरे में अन्दर गयी तो देखा वो समान पैक कर रही है मेरे पूछने पर उसने बताया कि वो दो दिन से ज्यादा बिज़ी थी इसलिए मिलने नहीं आयी और मैने कहा कहाँ की तैयारी हो रही है उसने कहा आंटी वो मैं अपने शहर जा रही हूँ
मैनें पूछा अच्छा कब आओगी कितने दिन के लिए जा रही हो वो बोली आंटी अब मैं वहीं रहूँगी वहाँ जॉब मिल गयी है ।

वो बहुत उदास थी मैनें पूछा अच्छा ये बताओ उदास क्यूँ हो हमेशा हँसती रहने वाली लड़की आज उदास क्यूँ है?

वो शायद बहुत ही उदास थी कि अचानक मेरे पूछने पर गले से लग कर रोने लगी मैनें उसे चुप कराने की कोशिश की पर लग रहा था कि वो बहुत दिन से उदास है और किसी से अपने मन की बात नहीं कह पा रही है

फिर जब वो चुप हुयी तो कहने लगी सॉरी आंटी वो आज मम्मी पापा की बहुत याद आ रही थी इसीलिए रोने का बहुत मन कर रहा है मैनें कहा अब तो तुम घर जा रही हो तो फिर क्यूँ रो रही हो उसने कहा यहाँ आप हैं आपसे बात कर लेती हूँ वहाँ पर तो मैं एकदम अकेली हूँ आपकी बहुत याद आयेगी ।

तभी मुझे पता चला उसके मम्मी पापा नहीं हैं और अपने बारें में सब कुछ बताया कि इस दुनिया में एकदम अकेली है वो मुझे अफ़सोस इस बात का है इतने साल में उसने अपने बारे कुछ नहीं बताया इतनी खुश रहती थी कि पता ही नहीं चला कि वो कितनी अकेली है।

ये बात जानकर अनुराग को भी बहुत अफ़सोस हुआ
कि सिर्फ़ वो ही रशिका से अपनी बात बताता था कभी उससे पूछा भी नहीं उसके बारे में अनुराग बहुत उदास हुआ उसने तुरंत रशिका को फ़ोन किया पर रशिका ने फ़ोन नहीं उठाया वो समझ गया कि


फिर उसके बाद उसकी लाईफ़ में बहुत सी लड़कियाँ आयी और अनुराग को अब भी अपने मन की कोई भी लड़की नहीं मिली थी

फिर एक दिन उसके पास मुम्बई के एक होटल से कॉल आया उसे 70000 पर मंथ जॉब मिल गयी थी
फिर उसने ये बात अपने घरवालों को बताई तो वो सब पहले से उससे नाराज़ थे कि वो अपने घरवालों का कहना नहीं सुनता है

फिर उसने ये बात रशिका को बताने की सोची और उसे कॉल किया कुछ सालों बाद जब रशिका ने फ़ोन उठाया तो वो अनुराग से अंजान बनकर बात कर रही थी ताकि अनुराग को लगे कि रशिका ने उसे भुला दिया है
अनुराग ने बताया कि उसकी जॉब मुंबई के एक होटल मे लग गयी है तो रशिका ने उसे बधाई दी और दोनों की दोस्ती फिर से हुई।

अनुराग रशिका से मिलने उसके घर गया और रशिका की सहेली हर्षिका भी उससे मिलने आज उसके घर आयी थी
रशिका 5 मिनट बोलकर चाय बनाने चली गयी ।
तभी हर्षिका रशिका की डायरी लेकर पढ़ने लगी और अचानक से उसका कॉल आ गया तो वो डायरी अनुराग पढ़ने लगा और उसके बाद रशिका चाय लायी सबने चाय पी और बातें की फिर कुछ दिन बाद अनुराग रशिका को शादी का कार्ड देने आया और कहा तुम जरुर आना तुम्हारे बिना मैं शादी नहीं करूंगा
ये सुनकर रशिका ने बिना कार्ड देखे और पढ़े ही किनारे रख दिया अनुराग ने देखा की उसने उसकी शादी का कार्ड तक नहीं पढ़ा
और किनारे फेंक दिया अनुराग को गुस्सा बहुत आया
फिर अगले दिन अनुराग आया और कहा तुम मुझे हर जगह सपोर्ट करती हो ना तो अब मेरी शादी में भी करना दुल्हन के लहेँगे ज्वेलरी सब तुम पसंद करोगी ठीक है न और अगर मना किया तो देख लूँगा तुम्हारी दोस्ती
अनुराग ने अपने घर में रशिका को शादी के कार्यक्रम के ठीक पहले बुला लिया था क्युंकि रशिका के परिवार में कोई भी नहीं था उसने अपने साथ मेहंदी भी लगवाई उसे और हल्दी भी और जिस दिन अनुराग की सगाई थी उसके 1 घन्टे बाद उसकी शादी भी थी उसने रशिका को तैयार होने से पहले कह दिया था बहुत सुंदर तैयार होना आज मेरी बीवी को टक्कर देना है तुम्हें
और रशिका तैयार हो चुकी थी पर नीचे कार्यक्रम में नहीं पहुँची थी
तभी अनुराग उसे लेने आया चलो रशिका तुम्हारे बिना मैं शादी नहीं करूंगा
रशिका ने कहा तुम जाओ मेरी तबियत खराब है उसने कहा बस इतनी सी दोस्ती है देख लिया आज तुमको कह रहा हूँ ना कि मैं तुम्हारे बिना शादी क्या सगाई भी नहीं करूँगा तभी रशिका गुस्से में बोली तुम्हें मुझसे शादी करनी है या अपनी बीवी से तभी उसने कहा तुमने अगर मेरी शादी का कार्ड पढ़ा होता ना तो मैं तुमसे कुछ न कहता
उसने फिर रशिका को अपनी शादी का कार्ड दिखाया और कहा लो अब ध्यान से पढ़ो
उस पर लिखा था अनुराग संग रशिका
इतना पढ़ते ही रशिका अनुराग के गले लग कर रोने लगी
और अनुराग ने कहा अब तो चलो यार प्लीज मैं तुम्हारे बिना शादी नहीं करूँगा.

© All Rights Reserved