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मियां जी - ३
मियां जी को अभी भी यकीन नहीं हो रहा था कि वो मर चुके हैं, इसी असमंजस में इधर उधर बेसबब चिल्लाते हुए दौड़े जा रहे थे।उनके शोर शराबे से दुखी होकर लैपटॉप पर बैठे अधिकारी ने डांट फटकार कर उन्हें अपने पास बिठा लिया।अब यमलोक में भी मियां जी उनका प्रिय कार्य कर रहे थे
लोगों का इतिहास भूगोल जानने का...
अधिकारी ने लाइन में खड़े पहले व्यक्ति को बुलाया ... ...
"रामनिवास पुत्र श्री देशराज .. आगे आओ"
' जी साहब...' रामनिवास हाथ जोड़ कर आगे आ गया।
अधिकारी ने पास रखी एक पत्रिका देखकर बोला ,
"तुम्हारे कर्मों का लेखा जोखा है इसमें
पहले जो जो तुमने पुण्य कर्म किए हैं वो बताता हूं ,
तुमने हर रोज मछलियों को दाना डाला,
रोज लावारिस गायों को चारा खिलाया,
अपने माता पिता और पत्नी को चार धाम की यात्रा करवाई।दो अनाथ कन्याओं का कन्यादान किया।
काफी अच्छे कर्म किए हैं तुमने..चलो अब पाप कर्म के बारे में भी सुन लो...
तुमने एक बार अपने खेतों में आग लगा दी थी.. जिसके कारण वहां मिट्टी व उसके भीतर पोषित हो रहे असंख्य जीव अकाल मृत्यु को प्राप्त हो गए थे,और वो ही नहीं उस आग की चपेट में पेड़ पर छत्ता बना कर बैठी मधुमक्खियां भी जल कर मर गई थी..."
"वो सब अनजाने में हुआ था.." रामनिवास की आवाज़ में कम्पन था।
"हां जानते हैं ...मगर उस वजह से तुम्हारे पुण्य का फल पूर्ण रूप से नहीं मिलेगा। तुम्हें स्वर्ग तक आग के रास्ते हो कर जाना होगा, रास्ते में मधुमक्खियां, चींटियां, सांप आदि भी तुमसे अपनी मौत का बदला ले सकते हैं।" अधिकारी ने रामनिवास को अपने अधीनस्थ कर्मचारियों के हवाले कर दिया।
"अरे इतने सारे अच्छे कर्म करने पर भी इतनी भयानक सजा .." मियां जी ने हैरानी से पूछा।
"हां ...हर एक गलत काम काफ़ी सारे अच्छे कर्मों की नेकी के प्रभाव को खत्म कर देता है ।" अधिकारी ने जवाब दिया।
अब बारी अगले व्यक्ति की थी।
"सुलचना देवी सुपुत्री श्री जगदम्बा प्रसाद"
"अरे इसे तो मैं जानता हूं.. मानस की है ना.. मेरा ननिहाल है वहां.. "सुलोचना को देख कर मियां जी की आंखों में चमक आ गई थी । उन्होंने अधिकारी को बताया,आप जानते हो अपने ज़माने में सैंकड़ों लड़के इनके दीवाने थे"
"अब ऐसा भी नहीं था" सुलोचना शरमाते हुए बोली।
"अच्छा जी.." मियां जी इससे पहले कुछ और कह पाते ,अधिकारी ने उन्हें डांटते हुए बोला ,
"तुम चुप नहीं रह सकते क्या? बड़ा मज़ा आ रहा है तुम्हें औरों का इतिहास भविष्य जानने में.. रुको पहले तुम्हारा ही निर्णय करते हैं "....
"क्या .... अरे नहीं, पहले आप सुलोचना का ही रिपोर्ट कार्ड लिख दें.. मैं चुप रहूंगा.. "मियां जी को सुलोचना के बारे में जानने का कौतूहल था.
"नहीं.... अब पहले आपका फ़ैसला होगा " अधिकारी ने मियां जी को सुलोचना के स्थान पर खड़े होने का इशारा करते हुए कहा।

क्रमश:
© Geeta Dhulia