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सुनो प्रेम...
सुनो प्रेम... मैंने सुना है जाड़े के दिनों में सबको अपने प्रेमी का साथ बड़ा सुहाता है, जिसके पास प्रेमी है वो अक्सर शाम की सर्दी में साथ में गर्म चाय पीते नज़र आते हैं.. दूर दराज वाले कोई वीडियो कॉल कर के भी सुस्ता लेते हैं! किसी को बाबु से ठंड में स्वेटर बुनने का तो किसी को स्वेटर ठीक से पहनने का ऑर्डर आता है! कितनी सुंदर होती होगी ना वो शाम...।जहां कोई जिद करके अपनी बात मनवाना चाहता है.. माहौल गर्म हो जाता होगा अपने प्रेम के साथ! मैं भी आज तुम्हें छूना चाहती थी पर ये मुमकिन कहां?? मैंने आज यादों का पिटारा खोल के देखा तो सीधा एक सुनहरा गुलाब नज़र आया.. उफ.. हमारा प्यार सूखने की कोई बात ही नहीं!! वेलेंटाइन डे पर दिया जानेवाला लाल गुलाब किताबों के बीच दम तोड देता पर ये सुनहरा गुलाब जो मैटल का था तो आज भी वैसे का वैसा हमारे प्यार की तरह... यादों के पटारे से एक और चीज़ निकल आई की पिछली सर्दी हम भी साथ थे.. इस बार सर्दी ज्यादा लगेगी तो मैं क्या करूंगी? तुम्हें वो स्वेटर तो याद है ना .. पर में क्या करूं?? कुछ जलाकर बदन को सेकना है तो मुझे नहीं पता की ख़्वाब को जलाते कैसे हैं? दिल को जलाकर राख कर दिया है ..वो होता तो कुछ तो काम आता!! तुमने मुझे खत भी नहीं लिखे जो जलाकर रात में सुस्ता लेती!! सोचती हुं यह पिटारा बंद कर दूं..।सुनहरा गुलाब सूखेगा नहीं और मैं..... अकेले ठूंठ हो चुकी हूं अब !! सुना है की हर ठूंठ को ठंड नहीं लगती !बस कोई आ कर ठूंठ को जलाकर अपना सीना सेक ले......


वही तुम्हारी मिष्टी...
तुम्हारी होने की कामना करती हुई


© Mishty_miss_tea