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मज़ाक
हैलो दोस्तों मै आप सब की प्यारी मुस्कान
हाज़िर हूं एक नई कहानी के साथ .......
मेरा आप सब से एक सवाल है आप
सभी ने क्या? कभी किसी से मज़ाक
किया है , मै भी क्या? बोल रही हूं
अरे मज़ाक तो सभी करते है , लेकिन
मज़ाक अगर हंसी दे तो अच्छा है
किसी की आंखो में जो मज़ाक आंसू ले
आए वो मज़ाक नहीं होता ...........

ये कहानी है आपकी प्यारी मुस्कान यानी की
मेरी मां को खोने के बाद मै बहुत शांत सी रहने लगी , वो बाल्यावस्था की शरारतें
कही खो सी गई ....... मै पांचवी क्लास में
पढ़ती थी । मेरी लाइफ में बहुत सी प्रोब्लम
थी लेकिन कहती किस से , पापा तो
कभी दो पल बैठ कर मुझसे बात तक नहीं
करते थे ।

इसलिए कभी उनसे बताने की हिम्मत ही नहीं हुई की मेरी आंखों की रोशनी धीरे धीरे
कम हो रही थी।
अपनी की क्लास के बच्चो के सामने
मै मज़ाक बन गई थी । उपहास का पात्र
बन गई थी । पढ़ना बहुत पसंद था मुझे
लेकिन अब स्कूल जाने से नफ़रत सी
होने लगी , दिन ऐसे ही बीतते गए और मेरे
मन में हीन भावना जन्म लेने लगी दिन भर
स्कूल में क्लास एक कोने में बैठी रहती ना
किसी से बात करती , ना किसी के साथ
रहती धीरे धीरे हालात बद से बत्तर होते गए
वो पांचवी क्लास में पढ़ने वाली लड़की अब
अपनी प्रोब्लम का हल खुद ही ढूंढने लगी
उसने ना जाने कितनी बार Google पर
search किया, लेकिन उसे कोई रास्ता ना
मिला फिर एक दिन जब स्कूल में बच्चो
का मेडिकल हुआ तो टीचर ने बोला अपने
पापा को बुलाना कल स्कूल , मैने पापा को
बताया की टीचर ने आपको बुलाया है तो वो
बोलने लगे किसी और को लेकर चली जा
मेरे पास टाइम नही , पापा ने साथ चलने
से मना कर दिया.......
फिर टीचर ने पापा के पास फोन किया और
उन्हे स्कूल आने को कहा तो पापा आए
टीचर ने उन्हें मेरी प्रोब्लम के बारे में बताया
लेकिन उन्हें कोई फर्क ही नहीं पड़ा
उन्होंने ये तक नहीं कहा की हां मै डॉक्टर
को दिखाऊंगा , सोचो उस साथ साल की
बच्ची पर क्या? बीत रही होगी ये सब
देख के जो स्कूल में पहले ही इतना सब
कुछ झेल रही थी।
अब तो कुछ बच्चे उसे उल्टे सीधे नामों
से भी चिढ़ाते थे । उसका आत्मविश्वास
बिलकुल टूट चुका था ।
क्लास बढ़ती गई हर साल पर चिढ़ाने
का ये सिलसिला यूं ही चलता रहा
दिमाग में उसके अब खुद की जान लेने
का ख्याल चलने लगा , कभी रूपत्ता
लेकर खुद का गला कसने की कोशिश
तो कभी चाकू लेकर हाथ की नस काटने
का प्रयास पर चाह कर भी वो
खुद को मार ना सकी , वो जिंदा होते
हुए भी मर रही थी। रोज़ अपने आप
से और अपने क्लास के बच्चो से लड़
रही थी ।

जब मै दसवीं क्लास में आई तो मेरी
जिंदगी में कुछ अलग हुआ मैने लिखना
शुरू किया , मै बस से स्कूल जा रही थी
और कापी में अपने विचार लिख रही थी
मेरी साथ वाली सीट पर एक सर बैठे थे
और उन्होंने मेरी कापी में देखा और
मेरे विचार पढ़कर मुस्कुराए और बोले
आपके विचार अच्छे हो अच्छा लिखते हो
मैंने उन्हें शुक्रिया बोला तभी बस में भीड़
बढ़ने लगी और एक बूढ़ी दादी बस में चढ़ी
मै सीट से उठ गई और उन्हें बैठा दिया
मै खड़ी हो गई तभी अचानक से मुझे धक्का
लगा और मेरा बैलेंस बिगड़ गया ,
वो सर ने मुझे गिरने से बचा लिया लेकिन
उन्हे मेरी प्रोब्लम का अंदाजा हो गया
और उन्होंने मुझे एक नंबर दिया
जो को आई हॉस्पिटल का था । मैंने
उस नंबर पर कॉल किया और
फिर पापा को बिन बताए वहा गई और
उन्होंने ऑपरेशन करने को कहा लेकिन
कोई गारंटी नहीं थी । उन्होंने कहा या तो
आपकी आंखो की रोशनी आ जाएगी
या हमेशा के लिए चली जायेगी , आप
अपनी फैमिली से बात कर ले..........

मै बड़ी उम्मीद लेकर पापा के पास गई
ओर उन्हे सारी बात बताई , उन्होंने मना
कर दिया ये कहकर की लड़की जात है
अगर आंखो की रोशनी चली गई तो फिर
क्या? होगा लेकिन मैने अब तय कर लिया
था की मै करवाऊंगी , अगर कोई भी उम्मीद
है तो और फिर पापा भी मान गए ,
ओर ऑप्रेशन पूरा हुआ और सब कुछ ठीक
हो गया मेरी लाइफ ही बदल गई।

मेरे लिए वो अनजान सर फरिश्ता थे । जिन्होंने मुझे एक नई जिंदगी दी ।
लेकिन आज भी मेरे जहन से वो यादें
नहीं गई वो जख्म नही भरे जो उस वक्त
मिले ध्यान रखना दोस्तो कही आपका
दो पल मज़ाक किसी के लिए जीवन
भर के दर्द जख्म की वजह बने.......।

thank you 😊 आपकी प्यारी
Muskaan ✍️.............











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