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#शर्त
#शर्त
चंदन को शर्त लगाना और फिर उसे जीतना बहुत पसंद था। हर बात पर शर्त लगाना उसकी आदत में शुमार हो गया था। इसलिए चंदन को लोग शर्तिया चंदन कह कर बुलाते थे। आज फिर उस ने शर्त लगाई थी आनंद से कि वह बड़ी हवेली के बगीचे से दस आम तोड़ के लायेगा।
आनंद ने चंदन की शर्त पर हँसते हुए जवाब दिया, "ठीक है, मैं मान लेता हूँ। लेकिन तुम जानते हो कि हवेली का बगीचा काफी बड़ा है और वहाँ पेड़ भी ऊँचे हैं। क्या तुम सच में इसे पूरा कर सकोगे?"

चंदन ने आत्मविश्वास से कहा, "तुम्हें चिंता करने की कोई ज़रूरत नहीं है। मैं तो इस बगीचे में कई बार जा चुका हूँ। मुझे यकीन है कि मैं दस आम जरूर तोड़ लाऊँगा।"

आनंद ने अपनी हँसी दबाते हुए कहा, "ठीक है, शर्त मान ली। लेकिन ध्यान रखना, आम तोड़ने के बाद तुम्हें उनकी सही संख्या गिननी होगी।"

चंदन बगीचे की ओर बढ़ा। हवेली का बगीचा हरियाली से भरा हुआ था, और आम के पेड़ सुंदर और फलदार थे। चंदन ने पेड़ों की ओर देखा और ढेर सारे आम को देखकर उसकी आँखों में चमक आ गई। उसने मेहनत से पेड़ों पर चढ़ना शुरू किया और एक-एक करके आम तोड़ने लगा।

कुछ घंटे की मेहनत के बाद, चंदन ने खुशी से दस आम इकट्ठा कर लिए। उसे यकीन था कि उसने शर्त जीत ली है। उसने आमों को सही तरीके से गिनते हुए आनंद के पास ले जाकर कहा, "देखो, मेरे पास दस आम हैं।"

आनंद ने आमों को ध्यान से देखा और हँसते हुए कहा, "शाबाश, तुमने शर्त पूरी की है। अब तुम मेरी ओर से एक इनाम पाओगे।"

चंदन ने राहत की साँस ली और कहा, "धन्यवाद, आनंद। अगली बार भी इसी तरह की शर्त लगाना और जीतना मजेदार रहेगा।"

दोनों ने मिलकर आमों का आनंद लिया और चंदन की शर्त जीतने की खुशी में मनोहर समय बिताया।
© Avshayar