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हमारा संविधान



भारत के संविधान निर्माताओं ने यह संविधान बड़े ही जतन से बनाया होगा। आज हमारा संविधान विश्व में सर्वोपरि है। संविधान के हर पहलू पर विचार करने से एक बात तो साफ स्पष्ट होता है कि चाहे निर्माणकर्ता कितने ही पढ़े-लिखे क्यों ना हो लेकिन उनके आगे शिक्षा का कोई महत्व नहीं था। जहाँ आज शिक्षा सर्वोपरि है वहां संविधान के निर्माताओं ने संविधान में शिक्षा का कोई ध्यान नहीं रखा गया
क्या जो शिक्षित होकर संविधान के निर्माण के सहभागी थे, उन्हें शिक्षा का मूल्य पता भी था या नहीं। चतुर्थवर्गीय कर्मचारी यूपी एग्जाम का प्रावधान है उनके लिए भी योग्यताऐंँ निर्धारित की जाती है। आयु 18—25 तक
शिक्षा 10वीं।नेताओं के लिए आयु आजीवन, शिक्षा अंगूठा छाप। वाह! मेरे देश के संविधान निर्माताओं नमन हैै आपको और आपकी दूरदर्शिता को। हालांकि उनकी शिक्षा के ऊपर सवाल करना मेरे वस्तुओं में नहीं है।
परंतु इतनी बड़ी चूक क्या योग्यता के ऊपर एक सवालिया निशान नहीं लगाता।
या यह लोग चाहते थे कि पढ़े-लिखे लोग भी चंद मूर्ख लोगों के हाथों की कठपुतली बन कर रह जाए जहां आज दामन पर अगर एक भी दाग लग जाए तो सरकारी नौकरी नहीं हो सकती वहीं अगर दामन दागदार हो जाए तो राजनीतिक के लिए दमदार माना जाता है। बांकी फैसला आपके हाथ