...

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और वो चला गया।
और फिर वो चला गया।
बस इतना कहा कि और साथ नही निभा सकता।
अजीब मसला है दिल का भी, ज्यादा लगा लो तो बस तड़प के मर ही जाओ।
में भी मर गयी थी, पर दुनिया की नज़रों में मैं जिंदा थी। सांसे चल रही थी। मैं सुन सकती थी, देख सकती थी, यहां तक कि बोल भी सकती थी।
पर सिर्फ मैं जानती थी मैं खाली हो गयी थी अंदर से। सपने , दिल , विश्वास, उम्मीद इन्होंने तो पहले ही दम तोड़ दिया था पर मेरे अंदर का सारा भर भी खत्म हो गया था।
मैं महसूस कर सकती थी, मैं खाली हो गयी हूँ। मुझे लगता था जैसे मेरा शरीर एक, एक ढांचा है पर उसमे से मास, फेफड़े, आंते, आमाशय सब कही गायब हो गया है।
एक दम खाली, अंदर तक।
इतना खाली खुद को कभी ज़िन्दगी में महसूस नही किया। मैं मायूस थी, उदास थी, एक पीड़ा जिसका लगता है कोई अंत ही नही और एक इंतज़ार की शायद वो आ जाये वापस।
मैंने जाना कि जब भाव खाली होते है ना तो शरीर भी खाली होता है ऐसा लगता है भाव का कोई भार होता है।
और मैने सच मे महसूस किया है।

© maniemo