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दिल्ली की उन गलियों में वो लम्हें...वो रातें।।
नमस्कार दोस्तों मैं अनिकेत नवल जो आप सबके सामने अपनी वह बातें रखना चाहता हूं जो मैंने दिल्ली के उन गलियों में गुजारी है और तमाम चीजें बताना चाहता हूं जो मेरे साथ हुई है और जो मैंने वहां रहकर अनुभव किया है तो आइए सुनते हैं कुछ रोमांचक, कुछ अद्भुत और कुछ दिलचस्प बातें साथ में थोड़ी अजीब घटनाएं भी।
मेरी यात्रा वाराणसी से शुरू होती है और नई दिल्ली आकर रूकती है। यात्रा हमसफर ट्रेन की है जब मैं यहां सुबह 6:00 बजे दिल्ली पहुंचा तब उस समय हल्की बारिश हो रही थी। यहां पर मैं नया नहीं था इससे पहले भी मैं यहां बहुत बार आ चुका हूं परंतु बहुत ज्यादा दिनों के लिए यहां रुका नहीं लेकिन इस बार मुझे कुछ ज्यादा दिनों के लिए रुकना था क्योंकि मुझे मेरा ऑटोमेशन का कोर्स का बाकी अध्याय पूरा करना था इसीलिए मुझे यहां रूम की भी तलाश थी इससे पहले मैंने अपने बचपन के परम मित्र से बात की जो यही दिल्ली के आश्रम महारानी बाग में सी आर आर आई कॉलोनी में रहता है। वह सरकारी जॉब में है इसीलिए मैंने उसे फोन किया कि भाई मुझे यहां दिल्ली में कुछ एक-दो हफ्ते रहना है तो क्या मैं आपके यहां आपके क्वार्टर पर रह सकता हूं तब उसने मुझे जवाब दिया व्हाट्सएप में कि भाई मैं तो यहां पर रहूंगा नहीं अभी मेरा कुछ प्रोजेक्ट चल रहा है जिसकी वजह से मुझे हिमाँचल प्रदेश जाना है और वहां कुछ साइट को विजिट करना है शायद वहां एक दो महीने भी रुकना पड़ जाए तो इसीलिए मैं तुम्हें यही राय दूंगा की तुम पीजी ले लो ताकि तुम्हें कोई दिक्कत नहीं हो मैंने नम्रता से उसका मैसेज पढ़ते हुए लिखा हां भाई तुम सही कह रहे हैं मैं ऐसा ही करूंगा फिर क्या मैं उसी दिन यहां पर दिल्ली में रूम की तलाश में निकल पड़ा पहले सोचा कि क्यों ना अपने इंस्टिट्यूट के सर जी से बात की जाए तो मैंने उनको सुबह ही फोन लगा दिया उन्होंने उठा लिया और बोले हां अनिकेत बताओ, वह बहुत ही अच्छे आदमी हैं सबकी मदद करते हैं तो मैंने उनसे बोला सर मैं यहां दिल्ली में आ चुका हूं और मुझे रूम चाहिए जिससे मैं कुछ दिनों के लिए रहकर अपना बचा हुआ कोर्स पूरा कर सकूं और प्लेसमेंट लेकर कहीं अच्छी जगह जॉब कर सकूं उन्होंने मुझे अशोक नगर में रहने को सलाह दिया मैंने उनको धन्यवाद करते हुए फोन रखा और तुरंत मेट्रो की तरफ निकल पड़ा नई दिल्ली मेट्रो स्टेशन पर पहुंचकर मैंने अपने मोबाइल में सर्च किया तो मुझे उसका पता चला कौन सी वाली मेट्रो अशोकनगर जाएगी मैं इंतजार किया थोड़ी देर फिर मेट्रो आ गई मैं बैठ गया थोड़ी देर के बाद न्यू अशोक नगर आया मैं उतर गया और बाहर की तरफ निकल गया बाहर मैंने देखा ऑटो रिक्शा खड़े हैं और वह बोल रहे हैं कहां जाना है? मैंने उनसे पूछा भैया मुझे रूम लेना है पीजी लेना कहां मिलेगा? किसी ने बोला आओ बैठो मैं छोड़ देता हूं पीजी पर मैंने सोचा पता नहीं यह लोग कहां ले जाएंगे इसलिए मैं किसी भी रिक्शा पर नहीं बैठा और अपनी नजर इधर-उधर घुमाने लगा तभी मुझे एक चाय की दुकान देखी मैं वहां गया और एक कप चाय मांगी उसने मुझे गरमा गरम एक कप चाय दी और पूछा बड़े परेशान लगते हो बेटा मुझे बताओ क्या बात है मैंने एक आह भरी और बोला जी हां आपने सही कहा मैं बहुत परेशान हूं क्योंकि मुझे यहां के बारे में कुछ पता नहीं है और मेरा मित्र भी यहां नहीं है जिसके यहां मैं पिछली बार रुका था इसलिए मैं पीजी खोज रहा हूं क्या आप मेरी मदद कर सकते हैं क्या आप बता सकते हैं कि मुझे पीजी बढ़िया और किफायती में कहां मिलेगा उन्होंने मुझे बताया कि देखो बेटा इतना तो नहीं पता है परंतु यह रोड देख रहे हो जो तुम्हारे दाहीने जा रही है उधर ही चले जाओ और पूछ लेना क्योंकि मैं उधर कभी गया नहीं लेकिन जानता हूं।
मैंने उनका धन्यवाद करते हुए अपनी चाय खत्म की और उनको 10₹ का नोट देते हुए उसी रास्ते निकल गया जिधर उस चाय वाले ने मुझे बताया मेरे पास एक बड़ी ट्रॉली बैग थी जिसमें मेरे तमाम कपड़े किताबें और जरूरी की सामग्री था जिससे मैं कहीं भी रुक कर रूम लेकर रह सकता था मैं धीरे-धीरे आगे की ओर बढ़ता गया फिर मुझे मेट्रो के पिलर पर एक नंबर लिखा मिला जो पीजी का था मैं रुक कर कॉल किया, एक लेडीज ने फोन उठाई और बोली हेलो मैंने बोला जी गुड मॉर्निंग मैं अनिकेत नवल अशोकनगर से बोल रहा हूं मुझे पीजी चाहिए उन्होंने बताया मिल जाएगा, तो मैंने पूछा की क्या रेट है तो उन्होंने बताया कि ₹6000 है। मैंने बोला बहुत ज्यादा है उन्होंने बोला नहीं इतने में हीं मिलता है यहां उसमें खाना भी शामिल है लेकिन बिजली का बिल अलग से देना पड़ेगा।
मैंने पूछा की बिना खाने का कितना पड़ेगा तो उन्होंने बताया की 5000 पड़ेगा मैंने बोला फिर भी बहुत महंगा है ठीक है धन्यवाद करते हुए मैंने कॉल काट दिया फिर मैं आगे बढ़े फिर मुझे बाई और एक और रास्ता जाते हुए दिखा मैंने वहां रुक कर किसी से पूछा भैया यह पीजी कहां मिलेगा उन्होंने बताया भैया बाए साइड चले जाओ बहुत सारी पीजी हैं देख लो मैंने उनका धन्यवाद किया और बोला ठीक मैं उस तरफ चला गया जहां उसने मुझे बताया, फिर मैंने एक पीजी में पूछताछ की रेट पूछा रूम देखा तो काफी महंगा बताएं परंतु मुझे लगा की यह रूम के हिसाब से रेट महंगा है इसलिए मैं बाहर निकला और आगे की ओर चलता है चल पड़ा फिर एक और पीजी दिखाई पड़ा मैं वहां गया और पूछा पीजी चाहिए उन्होंने बताया मिल जाएगा ₹6000 लगेंगे मैंने बोला रूम दिखाइए उसने मुझे रूम दिखाया मुझे पसंद नहीं आया फिर मैं निकला और आगे बढ़ा फिर एक पीजी मिला मैंने पूछताछ की वह भी मुझे सही नहीं लगा फिर मैं एक गली की तरफ मोड़ा मुड़ा आगे बढ़ा परंतु आगे से वह बंद था इसलिए मैंने वहां पूछताछ किया तो पता चला कि वहां है दो तीन पीजी है मैंने एक में पूछा तो पता चला पीजी खाली मैं ऊपर आया रूम देखा कोई और रूम देखा फिर एक ऐसा रूम देखा जिसमें एक बंदा पहले से ही रह रहा था लेकिन वह उस समय अपने घर गया था मुझे वह रूम सही लगा एक बेड खाली थी मैंने उसे तुरंत बुक कर लिया और किराया भी सही लगा रूम के हिसाब से लेकिन बिना खाने का था। फिर मैंने रूम का किराया एडवांस में जमा कराया फिर अपना सारा सामान रूम में रख लिया और फिर यहीं रहने लगा तमाम मुश्किलों के बाद मुझे यह रूम मिला था और उस दौरान मेरा फोन में पूरी तरीके से डिस्चार्ज हो चुका था मैं भी रूम खोजते खोजते थक गया था फिर मैंने रूम बंद किया कुंडी लगाई और मोबाइल को चार्ज में लगाया फिर थोड़ी देर लेट गया। आधे घंटे बाद उठा और फिर सारे कपड़ों को बैग से निकालकर उनको सही ढंग से व्यवस्थित किया फिर मैं नहाने चला गया नहाने के बाद मुझे बहुत ही अच्छा लगा क्योंकि मैं बहुत थका हुआ था उसके बाद मैंने अपना टिफिन खोला जिसमें मेरी मां ने हलवा बना कर दिया था मैंने मां को याद करते हुए हलवे को खाया बहुत ही सुकून मिला फिर पानी पिया और बेड पर लेट गया दोपहर में उठा मोबाइल उठाया और पापा जी को कॉल किया और उन्हें बता दिया रूम मैंने ले लिया है फिर मम्मी जी से बात किया उनको भी बताया फिर कुछ देर बाद हुई और फोन रख दिया मैं फिर बाहर निकल गया खाने की तलाश में बाहर तमाम होटल भी थे मैंने एक होटल में खाना खाया फिर वापस आया और फिर सो गया शाम को उठा बाहर गया चाय वगैरा किया बहुत भीड़ थी शाम को जो सुबह में मैंने नहीं देखी थी वह सारे लोग जॉब करने वाले थे जो शाम को वापस आते थे इसीलिए इतनी भीड़ दिख रही थी और कुछ लोग मार्केट में सब्जी भी और कुछ सामान लेने भी निकले हुए थे की अचानक से एक लड़की मुझसे टकराई.........
to be continue........
© @ nawal ji