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श्रीकृष्ण को आमंत्रण मां कामाख्या देवी को।।
श्रीकृष्ण हे माता कामाख्या प्रकट हो और हमारी गाथा में अपना स्थान ग्रहण करें।।
और कन्या बलजोरी की उन्मुक्तता कालचक्र विभाजन का रहस्य सुलझा कर इस असाही कन्या का मार्गदर्शन करें।।
और श्री हरि विष्णु ने मां द्वारा प्रकट होते ही कन्या की उन्मुक्तता मां कन्या द्वारा सुनाने को कहा।।
कामाख्या देवी जी -हा बोलो पुत्री क्या चेष्ठा है और क्या प्रसन्न हैं तुम्हारे।।
कन्या बहुत ज्यादा अश्रु बहाते हुए शब्दहीन हो जाती है।।
और फिर एक कन्या अपनी उस जाती है वर्णन करते हुए रोकर रोकर कहती की मां अब तूही बोल मै क्या करूं।।
मगर पुत्री तुम हमें अपने सवाल तो साझा करू।।

क्योंकि वह बहुत दुखी थी और रो रो कर शरीर को कम्पन में हो जाने के कारण वो बोला नहीं पा रही थी।।
ऐसे में श्रीकृष्ण द्वारा जल गृहण करना उसकी तीव्रता को शान्त कर सकता था।।
मगर प्रश्न है कि क्या उन्होंने बलजोरी को जल देकर उसकी सहायता की होगी ताकि वो वैशया मां से निर्विघ्न अपनी पीड़ा का वर्णन प्राप्त कर सकें।।
#सहनशीलताकीपरीछा।।
#श्रीहरिसनजीवनी आवश्कता।।
#श्रीहरिसनजीवनीपरिछड।।
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