दोस्ती (अंतिम भाग)
घूंघट में मालती को देखकर वो चौंक जाता है और खुश भी ही जाता है। उसके चेहरे के भाव देखकर अब लोग जोर जोर से हसने लगने है।
राजेन्द्र हस्ते हुए पूछते है, "क्यो भाई लड़की पसंद आई या नहीं?"
प्रतीक सबको प्रशन भरी नजरों से देखता है।
मालती : तुम तो मुझसे ही नहीं बोल पाए तो सबसे क्या बोलते इसलिए मेने ही हमारे घर वालो से हमारे रिश्ते की बात करदी।
प्रतीक ने मुस्कुरा कर उसको गले लगाया फिर सगाई की रस्में पूरी करी। सगाई हुई सबने खाना खाया फिर शाम को सब चले गए। एक दो दिन बाद...
राजेन्द्र हस्ते हुए पूछते है, "क्यो भाई लड़की पसंद आई या नहीं?"
प्रतीक सबको प्रशन भरी नजरों से देखता है।
मालती : तुम तो मुझसे ही नहीं बोल पाए तो सबसे क्या बोलते इसलिए मेने ही हमारे घर वालो से हमारे रिश्ते की बात करदी।
प्रतीक ने मुस्कुरा कर उसको गले लगाया फिर सगाई की रस्में पूरी करी। सगाई हुई सबने खाना खाया फिर शाम को सब चले गए। एक दो दिन बाद...