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धर्मफल
एक धरमवरम नाम का गांव था।उस गांव में एक मध्यमवर्गीय परिवार रहता था। एक सुसंस्कृत कुटुम्ब धनंजय और उनकी पत्नी प्रभावती रहते थे। उनको धर्मपाल नाम का एकलौता बेटा था। धर्मपाल अब बड़ा हो गया था। करीब दस साल कि उसकी उम्र थी। धनंजय और प्रभावती दोनों ने सोचा कि अब हमारा बेटा बड़ा हो गया है।उसे व्यावहारिक ज्ञान देने कि जरूरत है। इसलिए माता-पिता ने धर्मपाल को पास बुलाया। धनंजय जी ने धर्मपाल को अपने पास बुलाकर अपने बेटे को समझाते हुए बोले कि " बेटा धर्मपाल, मैं तुम्हें एक काम करने के लिए कहना चाहता हूं। क्या तुम करोगे ?" धर्मपाल अपने पिता कि चरणों नमन करते हुए बोला " पिताजी आप जो भी काम करने के लिए कहेंगे,वह काम मैं श्रद्धापूर्वक एवं निष्ठा से करुंगा।बोलीए पिताजी मैं आपकी क्या सेवा करूं ?तब धनंजय जी बोले
" बेटा धर्मपाल हमारे गांव के २५ किलोमीटर दूर एक केशवपुर नाम बड़ा गांव है, वहां बहुत बड़ा आम का व्यापार लगता है। दूर-दूर से बड़े बड़े व्यापारी अलग अलग अच्छे आम का व्यापार करने आते हैं। तुम उस गांव जाकर हमारे लिए एक टोकरी अच्छे-अच्छे ताजे ताजे मिठे फल लेकर आना है।यह लो पांच सौ रुपए, और जाकर आम लेकर आओ "धर्मपाल पांच सौ रुपए लेकर अपने माता-पिता को प्रणाम कर
केशवपुर निकल पड़ा।
धर्मपाल केशवपुर आ गया। उसने देखा कि जीधर...