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शर्त
#शर्त
चंदन को शर्त लगाना और फिर उसे जीतना बहुत पसंद था। हर बात पर शर्त लगाना उसकी आदत में शुमार हो गया था। इसलिए चंदन को लोग शर्तिया चंदन कह कर बुलाते थे। आज फिर उस ने शर्त लगाई थी आनंद से कि वह बड़ी हवेली के बगीचे से दस आम तोड़ के लायेगा।
चंदन बगीचे की पिछली दीवार फाँद कर बगीचे में जाता है। धीरे-धीरे पैर रखते हुए वह आगे बढ रहा है। तभी पैर सूखी
पडी पत्तियों पर पडता है। उसकी आवाज से
वह खुद तो चौंक जाता है वहीं जोर से आवाज आती है, कौऽन है?
चंदन चौंक जाता है। चुपचाप पेड के पीछे छिप जाता है। आवाज देने वाला
पास आता है, चारों तरफ देखता है, फिर आवाज लगाता है कौऽन है(इस बार दाँत पीस रहा है)।फिर धीरे से 'शायद बिल्ली थी' कहकर निकल जाता है।
अब चंदन सावधान हो जाता है। वह पेडों के बीच से होता हुआ उस पेड के पास जाता है जिस में आम ज्यादा लगे थे। धीरे
से पेड पर चढता है, अपना गमछा खोलकर
उसमें आम तोड़कर डालता है। जैसे ही आम दस हो गए वह उतरने लगता है।
तभी गमछे में एक आम गिर जाता है। वह एक और तोड लेता है। धीरे से नीचे
उतरता है। अपने गमछे को कस कर बाँध लेता
है ताकि आम गिरें ना, फिर धीरे-धीरे दीवार की
ओर बढता है। सिर नीचे करके केवल सूखी
पत्तियों पर ध्यान रखता हुआ चलता है।
वह दीवार के पास तो आ जाता है।
पर दीवार पार कैसे करें समझ नही पाता। तभी उसे ख्याल आता है कि दीवार से लगे पेड
पर चढ कर वह जा सकता है। चंदन वैसा ही
करता है, पेड पर चढ कर जैसे वह दीवार की उस ओर छलांग लगाता है। वह नीचे जोर से गिरता है
हाथ में पट्टी बाँधा हुआ चंदन अब
खुशी से सामने रखे पैसे गिन रहा है। भले ही
हाथ के कोहनी की हड्डी टूट गई हो.।पैर पर भले ही खरोंचें आई हों, उसने शर्त तो जीत ली है। आनंद ने भी मान लिया भाई तुम तो शर्तिया चंदन हो।