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स्वेटर
क्रिसमस की संध्या शायद सब से सुहावनी संध्या होती है

मेरे माँ कहा करती थी "खुशियाँ बाँटने से बढ़ती है"

वैसे मैं कभी कोई पार्टी मे नही जाती, पर क्रिसमस की पार्टी केलिए मैं पहले निमंत्रण को मना नहीं करती

जब मैं छोटी थी माँ मुझे बहोत अच्छे से तैयार करती थी, गुलाबी frock पहना कर, मेरे माँ मेरे मेरे बाल बनाती, दो चोटी के बाद गुलाब के फूल वाली रिबन लगाती थी, गुलाबी जुटे, और माँ मेरे लिए हर साल एक स्वेटर बनाती थी वही मुझे गिफ्ट मे मिलता था, मेरे दोस्तों के यहा माँ मुझे छोड़ने आती थी

क्रिसमस की पार्टी मुझे अक्सर मेरी माँ की याद दिलाया करती है

माँ को गए आज तीन साल हो गये थे, माँ बीमार थी शायद उसको पता था, वो भी पापा के पास जाने वाली होगी, इसलिए माँ जाने से पहले हरबार एक ही बात कहा करती थी "ईवा, अब तुम 18 साल की हो गई हो, अब तुम अपना भला बुरा समझ सकती हो, तुम पढ़ने के साथ साथ नौकरी करके कमा भी लेती हो, कल अगर मैं तुम्हारा सपनों का राजकुमार चुनने के लिए अगर मैं इस दुनियामे ना रही, तो भी याद रखना मैं तुम्हें तुम्हारे आसपास ही मिलूँगी, वहाँ आसमानमे  जहा वो मुस्कराता हुआ तारा दिख रहा है ना?  तुम्हारे पापा... उनके पास मैं भी तुम्हें ऐसे ही मुस्कुराते हुए देखूँगी "

माँ के जाने के बाद रोज़ रात को खिड़की से माँ और पापा को मेरी तरफ मुस्कुराते हुए देखकर मैं भी मुस्कुरा लेती

आज भी क्रिसमस है और याना के यहा पार्टी मे निमंत्रण था, याना मेरे साथ काम करती है मेरी सीनियर है पर बहोत अच्छी इंसान है

मैं तैयार होकर आइने मे अपने आप को देख रही थी, और माँ को याद कर रही थी, बाहर बहोत ठंड थी, दो बार स्वेटर पहन ने केलिए अलमारी मे हाथ डाला और दोनों बार स्वेटर वापस रख लिया..

माँ ने दिया हुआ आखिरी और एक अब एक मात्र तोहफा था मेरे पास, उसको मैं मैला नहीं होने देना चाहती थी, उसको मेरे पास जीवनभर रखना चाहती थी... जीवनभर.. अपनी अंतिम साँस तक

घर से बाहर जाते जाते फिर ख्याल आया ठंड बढ़ रही है और मैं बीमार हो गई तो? माँ को मेरी फिक्र होगी, और पार्टी मे नही जाऊँगी तो भी माँ को अच्छा नहीं लगेगा...

अखिर वो स्वेटर पहन ही लिया और बस मे बैठ गई, सोच रही थी, इस महीने पैसे बचाकर एक नया स्वेटर ले लूँगी, डर यही था की पार्टी मे स्वेटर खराब ना हो जाए, इसलिए फैसला कर लिया था, याना को मिलकर जितना जल्दी हो सके घर वापस आ जाऊँगी

बस स्टॉप से उतरकर याना की घर की तरफ जाने लगी, याना ने कहा था बस स्टॉप से घर थोड़ा दूर है, फोन करना लेने आ जाएगी, पर मैंने फोन करना ठीक नहीं समझा

याना के घर गई, याना का घर बहोत ही बड़ा था, मैंने नहीं सोचा था इतनी आमिर होगी याना!! , घर के बाहर ही बड़ी बड़ी गाड़ियां खडी थी, बहोत बड़े बड़े लोग आए थे, इतने बड़े लोगों के बीच भी याना और उनके घर वालों ने मुझे असहज महसूस नहीं होने दिया, मेरा स्वागत और बाकी सब मेहमान का स्वागत जैसा ही बहोत अच्छे से किया जा रहा था

इतनी बड़ी क्रिसमस पार्टी मैंने कभी नहीं देखी थी, इतना अच्छा खाना भी मैंने कभी नहीं खाया था, सब तरीके के मेहमान का ध्यान रक्खा गया था, मेहमान के साथ साथ जिनके pets (पालतू जानवर) है उनका भी, pets केलिए भी अलग खाने की व्यवस्था थी !, मैंने पहली बार देखा था pets के भी इतने अलग अलग तरह के व्यंजन होते है!

बस एक ही बात अच्छी नहीं लगती थी जितना खाना पेट मे नही जाता था उससे भी ज्यादा लोग कूड़ेदान मे डाल रहे थे

याना के पिताजी "महिला एवं बाल विकास योजना" मे कहीं बहोत उच्च पद पर थे, साथ साथ उनको जानवर से भी बहोत लगाव था, उनके घर मे बहोत pets थे, इतने अमीर होने के बाद भी, याना स्वनिर्भर बनकर छोटी कंपनी मे काम कर रही थी, ये जानकर और अच्छा लगा

मैं घर जाने केलिए वापस बस स्टॉप पर जा रही थी तब याना ने कहा" हम छोड़ देते है घर"

मैंने मना किया, फिर भी याना और उनके पिताजी नहीं माने, उन्होंने कहा "घर नहीं तो कम से कम तुम्हें बस स्टॉप तक ही छोड़ देते है, इतनी दूर पैदल चलाना सही नहीं है"

मैं उनको मना नहीं कर पाई

याना, उनके पिताजी और puppy (याना का pet) मुझे छोड़ने आए, गाड़ी का दरवाजा खोलने से पहले ही एक छोटा सा बच्चा (करीब करीब 8-10 साल का) , हाथ फैलाते हुए खड़ा हो गया...

याना के पिताजी ने कहा " भागों इधर से.. कंही भी हाथ फैला कर खड़े हो जाते हो.... "

बच्चा कुछ भी सुने बिना पीछे ही प़डा था और याना के हाथ मे रक्खे हुए बिस्कुट के पैकेट को देख रहा था

याना ने कहा "ये puppy के है, इंसानों के होते तो जरूर देती"

याना के पापा "अरे बेटा इनके मुह मत लगों.. एक को दोगे तो दूसरे आ जाएंगे.. "

याना ने अपने बैग मे देखा और कुछ खाने की चीज़ मिली और उसने बच्चे को दे दी....

पर अब बच्चा कुछ और मांग रहा था...

बच्चे के बदन पर सिर्फ एक चड्डी थी वो भी आधी फटी हुई, उसके नंगे बदन पर उसके रोंगटे दिख रहे थे, गाल और होंठ फट कर काले हो गये थे,  कंपकंपाते होंठ से वो बोल नहीं पा रहा था, पर वो  बच्चा बिना बोले अपनी आँखों से अपने बदन केलिए कपड़े मांग रहा था..

याना के पापा ने कहा "देखा, मैंने कहा था इनको मुह मत लगाओ, खाने के बाद.. अब इसे कुछ और चाहिए..."

गाड़ी से उतरकर याना के पापा ने उस बच्चे को भगा दिया और मेरे लिए दरवाजा खोला,

याना और उनके पिताजी को "Bye" कहते ही वो गाड़ी चली गई

मेरी बस को आने मे  अभी 10 मिनट की देरी थी

मुझे फिर से वो बच्चा दिखा वो चाय वाले की दुकान के पास एक लाल बत्ती वाली गाड़ी के पास जाकर माँगने लगा..

गाड़ी मे से शीशा निचा करके टोपी वाला कोई नेता उस बच्चे को बोलता है  "चल भाग बे, नहीं तो दो उल्टे हाथ की दूँगा..साले माँ बाप भी पैदा करके छोड़ देते है.. ईन पिल्लों को..."

और नेता अपने ड्राइवर को बोलने लगा "इस देश की सब से बड़ी समस्या ये जनसंख्या है.. गरीबी की वज़ह भी.. खाने को दाना नहीं.. पहनने को कपड़े नहीं.. बस बच्चे पैदा किए जा रहे है"

इसके बाद वो बच्चा जहा जहा गया उसको या तो अलग अलग प्रकार की गाली मिलती या नसीहत, पर बच्चा जो मांग रहा था कोई दे नहीं रहा था या देना ही नहीं चाहता था...

बच्चा मेरे पास आया और मेरे आगे हाथ फैलाने लगा, मेरे आँख मे आंसू थे मैंने कहा," बच्चे, अगर ये मेरी माँ की आखरी निशानी ना होती तो तुम्हें जरूर देती...."

और वो चला गया

बच्चा सब लोगों से मांग कर थक कर निराश होकर एक कोने मे बैठकर अपने घुटने को सीने से लगाकर, अपने दोनों हाथो को घुटनों से बांधकर, ठंड को दबोच कर मारने की कोशिश कर रहा था, पर शायद उसकी ताकत सर्दी की ताकत से कम थी,  वो और भी कंपकंपा रहा था...

मैं उसके पास गई और अपना स्वेटर उसके शरीर पर रख दिया

वो बच्चे ने मेरी तरफ ऊपर मुह करके एक मुस्कराहट दी.. कितने सारे शब्द थे उस मुस्कान मे..!!!

मेरी बस आ गई, मैं खिड़की के पास बैठकर, आकाश मे मेरी माँ और पापा को मुस्कुराते हुए देख रही थी, वो भी वैसे ही मुस्करा रहे थे, जैसे वो बच्चा मुस्कुराया था..

मेरी माँ सही कहां करती थी "खुशियाँ बाँटने से बढ़ती है"

आज से उस बच्चे की मुस्कान ही मेरी सब से बड़ी क्रिसमस गिफ्ट थी... जो मेरी माँ के स्वेटर से मुझे मिली...


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