...

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पुरानी कहानी
एक कहानी है पुरानी
याद आया सोचा आज है तुझे सुनानी,
एक गरीब घर का लड़का और एक बड़े शहर की लड़की थी
वो लड़की दाग-धब्बें शामली सी थी
लेकिन उसका दिल चंचल पानी सा था
दोनो मिले कुछ इस तरह
जैसे मिलते है संगम पे दो नदियों का पानी
वो भोली किस्म की लड़की
मैं उसे 'खरगोश' वो मुझे 'अमु' बुलाती थी,
जाने कैसा रिस्ता था मेरी कविता उसे खूब भाती थी,
थी तो वो मगरुर दुनिया के लिए
लेकिन मेरे लिए मोम सा बन जाती थी,
वो मुझे बहुत कुछ कहती और समझाती थी,
मैं ही पागल सा लड़का था
उसकी हर बात को मजाक में ले लिया करता था,
हमलोग के बीच में सब कुछ ठीक चल रहा था
फिर एक दिन अचानक से कुछ ऐसा हुआ
जिसकी कल्पना भी ना किया था....
हमारे प्यार को किसी का ग्रहण लग गया
या यूं मानो सावन के बरसात में कोई पतझड़ आ गया।
जैसे खारा समुंदर में कोई रेगिस्तान आ गया,
खूबसूरत शहर में जैसे बाढ़ आ गया।
फिर एक दिन.....
© Amrit yadav