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एक पहेली मेरी जिंदगी की (part-2)
आज मै दिनभर उसिके बारे में सोच रहा था। वो बेतहाशा खूसूरत थी। मै उसकी फिर से दीदार करना चाहता था। सोचा मेरा शहर इतना भी बड़ा नहीं की उसे फिरसे ना देख पाऊं। दूसरे दिन सुबह उसी वक्त मै निकल गया।पर इस बार मेरा मकसद सिर्फ juggling नहीं था। मै उसी जगह जा के रुक गया। सोचा अभी वो आ ही रही होगी। धुंध छाई हुई थी। थोड़ी सी रोशनी के साथ धुंध थोड़ी कम होने तक रुका वहां। पर वो...