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कला उपासक
जनपद में एक बड़ा महाविद्यालय था।उस महाविद्यालय में एक युवा चित्रकार आया,उस युवक को इस महाविद्यालय के छात्र-छात्राओं को चित्रकला सिखाना चाहता था। इसलिए वह युवक उस महाविद्यालय के प्राचार्य को मिला और उस युवक ने प्राचार्य से कहा कि "महोदय कृपा करके मुझे आपके महाविद्यालय में अपनी
विषेश चित्रकला तथा अलग-अलग तरीके से छात्र-छात्राओं को बहुत ही सुलभ चित्रकला सिखाने का अवसर दीजिए।तब प्राचार्य ने कहा कि पहले से हमारे महाविद्यालय में इसी शहर के एक व्यापारी का बेटा चित्रकला शिक्षक के पद भर्ती हुआ है।वह पिछले दस साल से कार्यनिरत है,और वह शिक्षक कुछ दिन के लिये छुट्टि पर गए हुए है।इसलिए आप कुछ दिन अपनी कला सिखा सकते है, और उस महाविद्यालय के निदेशक कि सलाह लेकर आगे सोचते हैं।तब वह युवक उनकी बात मानकर,उसी दिन से चित्रकला सिखाने प्रारंभ किया। कुछ दिन में ही सभी छात्र छात्राओं को चित्रकला अत्यंत सुलभ तरीके से सिखे । देखते देखते १५ अगस्त दिन कि...