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तैरना (हास्य लघु लेख)
यार मैं कब से तैरना सीखना चाहता हूं पर क्या करूं मैं सीख ही नहीं पा रहा हूं । एक दिन क्या हुआ, मैंने सोचा कि मैं तैरना धीरे-धीरे सीख ही लूंगा, तो तैरने की क्लासेस शुरू कर दी ,हुआ यह की मैंने अपनी रुचि तो जान ली कि वह तैरने में है पर, मैं तैरना की रुचि पूछना भूल गया क्,योंकि उसकी तो मुझ में थी ही नहीं। अब मैं बार-बार तैरता लेकिन मुझे तैरना आई नहीं रहा था ।अब लगभग 6 महीने हो गए और मुझे पूरा यकीन हो गया कि तैरने को मुझ में बिल्कुल रुचि नहीं है !मैं यह नहीं कहूंगा कि मुझे तैरने में रुचि नहीं है क्योंकि यह कहना गलत होगा ।अब एक दिन मैं अपने दोस्त से मिला ,उसने मुझसे पूछा भाई तू इतना क्यों इसमें रुची ले रहा हैं ?इतना सब है ,करने को, कुछ भी कर पर यह नहीं, मैंने कहा देख भाई, तैरना तो मुझे सीखना ही पड़ेगा क्योंकि मैं नहीं डूबना चाहता ,उसने कहा तो तुझे डुबाना कौन चाहता हैं ? मैने कहा तुझे भी तैरना सीख लेना चाहिए मैंने सुना है आजकल लोग प्यार में भी डूबने लगे हैं! कल से तू भी आ जाना।
© Aarti Solanki