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प्रेम खुशियों पर गृहण बनी अपेक्षा
जिंदगी के सफर मे जहाँ तक जाना है वहाँ तक खुश रहना है
तो सबसे पहले स्वंम को खुश रखो स्वंम से लेकर स्वंम को जानो और स्वंम को ही प्यार करो
जिसने स्वंम को जाना वही सुखी है
दूसरो पर कभी भी किसी भी तरह की अपेक्षा मत करना
दूसरो पर आस न करना आस लगाना स्वंम की खुशियों मे आग लगाने के बराबर होता हैं

अपने नियम ***
1 याद रखना जिंदगी के सफर मे जो मिले उसे खुशी से स्वीकार करना
2 कभी भी प्यार मे स्वंम को किसी के लिए कभी मत खोना न कभी उस पर अपना हक जमाना आज के दौर मे जब आप किसी के प्यार मे स्वंम के अस्तित्व को भुला बैठते हो
उसी के प्यार के आधी हो जाते हो
कुछ समय बाद वही लोग आप के प्यार को आपकी अपेक्षा को भाव नही देते धीरे धीरे आपका प्यार उनके लिए बोझ बनने लगता हैं
आपका बात करना आपका फिकर करना उनको कांटो की तरह चुभने लगता है
आपको समय देना भी उन्हे अच्छा नही लगता
उस मोड पर आपका दिल उनके इस वर्ताव के कारण बहुत दुखी होता हैं
तब जाके अहसास होता हैं कि जरूरत से ज्यादा लगाव जिंदगी मे पीड़ा का कारण भी बन जाता है
3 मतलवी लोग *** प्यार शब्द का अर्थ तो लोग जैसे भूल ही गए है कोई भी रिश्ता देख लो जैसे जैसे जरूरते पूरी होती जाती हैं वैसे वैसे रिश्तों के मायने बदलते जाते है
प्यार करने के तरीके बदलते जाते हैं
4 वृद्ध अवस्था ( प्रगाढ़ प्रेम) जो प्रेम माया या काया को देखकर किया जाए बो प्रेम नही वो एक आकर्षण छलावा होता है
जो एक समय के बाद धीरे धीरे खत्म होता जाता है
प्रेम जिसने मन कर्म वचन त्याग सेवा सत्यनिष्ठा से किया हो एक का हसना दूसरे की हँसने की बजय बने
जो दो शरीर एक जान हो जाए
उम्र का कोई मोड़ कोई बजह जिसके प्यार को कम नही कर पाती
उनका प्यार ज्ञान की तरह हर पल बढ़ता जाता हैं
दोनों एक दूसरे के बिना रह नही पाते
वही सच्चा प्रेम हैं
5 प्यार के काबिल ****
प्यार करना ही हैं तो उसी से करना जो पूरी तरह आपका होना चाहें
दोनों अपने अंह को भूलकर केवल एक दूजे से प्यार करते हो
एक दूसरे के लिए जीते हो वही प्यार हैं
अन्यथा आकर्षण बाला प्यार हुआ तो जिंदगी भर के लिए गृहण ही बन जाता हैं!!
© Mamta