...

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मैं ऐंसी ही हूँ,
Mujhe samjh na aata, Log batein kyun karte hain

Ek waqt par mein v karti thi, mammy sey friends sey sab sey

Par ab pata na kyun
Mujhe kisi sey bhi baat krna achha na lgta

मन करता है, एकांत में बैठी रहूँ
अपने मन से अपनी हि कहूं
ना किसी से बोलूं न किसी की सुनूं
बस मैं मेरा मन मेरा एकांत

Par aisa nahin ho pata hain
Mein andar se khudko akela samjhne lgti hun
Tab mein अपने हि व्हाट्सएप chat पर खुदसे हि कई बातें करने लगती हूँ ,
मैं जानती हूँ इस बात को
की कोई ना मेरा है, न मैं किसी की हूँ
ये हमारा शरीर हमारा है हि नहीं
तब मैं जाकर अपना फोन उठाती हूँ, और वो सब लिख़ देती हूँ, जो मेरे मन में हो रहा होता है, वो सब जो मेरा मन मुझसे कह रहा होता है,

मेरे पगले मेरी इस बात से गुस्सा होते हैं
पर पढ़ कर मेरी बातें मुस्कुराने लगते है
फिर सीने से लगा कर सिर पर हाथ रखते हैं
ओर कहते है,तू pagal है यार पर बहुत प्यारी है ,

मैं क्या करूँ मुझें बातें करना बचपन से हि पसंद है, इसीलिए भगवान जी ने मुझें ओरों से अलग रखा है,

जहाँ सिर्फ मैं और मन होता हैं
ना किसी का डर की कोई क्या कहेगा, ना किसी का भय की कोई क्या सोचेंगा
अपनी लाइफ अपनी मर्ज़ी अपने तरीके से मैं अपनें मन का साथ देती हूँ
कई सवाल खुद से कर खुद हि जबाब निकाल लेती हूँ

मैं क्या करूँ मैं ऐसी हि हूँ ❤️