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परेसानीयां
यह कहानी है जीवन में एक अच्छा राही बनने की
एक दिन सुनीता अपने दोस्त सौम्या से मिली सौम्या से मिलने से पहले सुनीता बहुत परेशान थी उसे लगता था कि उसके जीवन में न जाने कितनी ज्यादा परेशानियां है मतलब कि वही है जो जीवन में बहुत परेशान है उसके सिवा किसी के पास परेशानी ही नहीं है
एक दिन उसकी दोस्त सौम्या उससे मिलने आई सौम्या को देखकर सुनीता बहुत खुश हुई उन सब ने घंटों बात की फिर बातों ही बातों में सौम्या ने सुनीता से पूछा क्या हाल-चाल है सुनीता आजकल तुमसे मुलाकात नहीं होती तो सुनीता ने बोला मेरे जीवन में ना जाने कितनी परेशानियां है जिनसे मैं लड़ रही हूं इन्हीं सब की वजह से मेरे पास समय नहीं है किसी से मिलने का या फिर किसी से बात करने का सौम्या मुस्कुराई और उसने बोला समस्याएं समस्या तो सबके पास होती है फिर तुम्हारी समस्या बड़ी कैसी यह तुम कैसे जानती हो सुनीता ने बोला मेरे जितना परेशान शायद ही कोई होगा सौम्या फिर मुस्कुराए उसने बोला आखिर तुमने कैसे फैसला कर लिया कि तुम्हारी समस्या बहुत बड़ी है या फिर तुम ही एकलौती हो जो परेशान हो सुनीता ने बोला क्योंकि मैं जिसे भी देखती हूं वह खुश रहते हैं उनके पास समय रहता हैं मेरे पास बिल्कुल भी समय नहीं है सौम्या ने का अच्छा अगर मैं यह कहूं कि तुम्हारी समस्या की सबसे छोटी है तब सुनीता थोड़ी देर के लिए चुप रही फिर गुस्से में वह बोली क्या कह रही हो मेरी समस्या ये तुम कैसे कह सकती हो मानती हुं कि मुझ जैसे कुछ और भी होंगे जिनके पास समस्याएं होंगी मगर मेरी समस्या छोटी नहीं हो सकती अब मैं समझ गई सुनीता बातों से तो नहीं मानेगी तुम्हें समझाना पड़ेगा प्रैक्टिकल
सुनीता तो ठीक है चलो मैं बताती हूं तुम्हारी समस्या सबसे छोटी कैसी है ठीक है दोनो लोग कुष्ठ रोगियों के हॉस्पिटल गये जहां पर 100 कुष्ठ रोगी मौजूद थे उनके साथ उनके इलाज करने वाले डॉक्टर और नर्स सुनीता हॉस्पिटल के बाहर खड़ी हॉस्पिटल के सामने देखकर बोली तुम मुझे यहां क्यों लाई हो सौम्या बोली कहती हो ना कि तुम्हारे पास बहुत समस्याएं हैं तो फिर आओ तुम्हें दिखाती हूं तुमसे भी ज्यादा परेशान ,बेसहारा और दुखी लोग है इस दुनिया में सिवा इसके कि वह हार नहीं मानते वह तुम्हारी तरह हारे हुए नहीं है बाकी हां उनकी प्रॉब्लम्स और की समस्याएं शायद तुमसे बहुत बड़ी है सुनीता एक बार फिर गुस्सा हुई लेकिन इस बार उसने कुछ नहीं बोला और वह सौम्या के साथ अंदर चली गई जैसे ही सुनीता आगे बढ़ी उसने देखा वहां के लोग अपने जीवन शैली को जीने के लिए काम करते थे सुनीता ने देखा कि किसी के पैर नहीं है तो किसी के हाथ नहीं है किसी की उंगलियां नहीं है शरीर होते हुए भी कुछ अंग नहीं थे उनके शरीर में कुछ थे तो आड़े तेडे थे इन सब को देखकर सौम्या ने सुनीता से बोला सुनीता यह सब तुमसे ज्यादा परेशान है पर पता है तुम्हे यह तुमसे ज्यादा ताकतवर है तुमसे कमजोर होकर भी यह तुमसे ज्यादा ताकतवर है सुनीता बोली वह कैसे सौम्या बोली पता है सुनीता तुम्हारे पूरे शरीर में एक भी कमी नहीं है तुम्हारे हाथ पैर मुंह हर एक अंग शरीर का सलामत है मगर तुम मन से हारी हुई हो अपनी समस्याओं से घिरी हुई हो अपने ही बनाए हुए मायाजाल से पर यह वो है जो निडर है निर्भीक है इन्हें डर नहीं इनके पास क्या नहीं है इन्हें खुशी है इनके पास जो है तुम जब बैठकर यह सोचती हो कि मेरे पास यह नहीं है तब ये बैठकर यह सोचते हैं कि मेरे पास जो है मैं उससे कैसे और ताकतवर बन सकता हूं तो हुए ना यह तुमसे ज्यादा ताकतवर और हां ऐसा नहीं है कि इनकी परेशानियां तुमसे बड़ी नहीं है बहुत बड़ी है तुम्हें यह समस्या है कि तुम्हारे पास कपड़े नहीं है या फिर तुम्हारे जीवन में उपयोग होने वाले अन्य उपयोगी चीज नहीं है पर इनके पास परिवार नहीं है इनके पास इनके शरीर का एक महत्वपूर्ण हिस्सा ही नहीं है इनके पास इनसे बात करने वाले लोग ही नहीं है जो इनकी तकलीफ को सुनें इनको तकलीफ है कि इनकी अपनों ने इन्हें छोड़ दिया कुष्ठ रोगी समझकर पर तुम्हारे परिवार ने तो कभी नहीं छोड़ा तो तुम कैसे उनसे ज्यादा परेशान हुई सुनीता यह तुम्हारे ऊपर है कि तुम आने वाली परिस्थिति को अपने लिए कैसे उपयोग में लाती हो उसे अपने जीवन का आखरी मुकाम समझकर या फिर अपने जीवन का सबसे बड़ी समस्या समझकर या उससे एक तोहफा समझकर उसमे अच्छाई देख कर उससे साहस लेकर आगे बढ़ने का उस दिन सुनीता को पता चला समस्याएं होती नहीं समस्याएं बनाई जाती हैं जीवन में इतनी खुशियां जितनी उसके पास है शायद उतनी हर किसी के पास ना हो मगर हां सच तो यह है कि जितनी भी है वह बहुत है उसके लिए तो जरूरी नहीं कि हर इंसान एक पैमाने पर नापा जाए किसी का बहुत ज्यादा किसी के लिए वही बहुत कम होता है तो जो है जैसा है उसको उसी में अपनाना यही जीवन है
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